PFI Ban: बिहार के फुलवारी शरीफ के मोड्यूल के पकड़े जाने के बाद अमित शाह ने पीएफआई के देशव्यापी नेटवर्क को ध्वस्त करने को लेकर एक्शन प्लान बनाने और टेरर फंडिंग पर शिकंजा कसने के लिए एजेंसियों को निर्देश दिए थे. इस मॉड्यूल के पकड़े जाने के बाद पता चला था कि पीएफ़आई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की योजना बना रहा है. साथ ही एजेंसियों के कान तब खड़े हो गए जब फुलवारी शरीफ से ज़ब्त किए गये दस्तावेज़ो में “गजवा ए हिन्द” के लिए टारगेट 2047 तय किया गया लिखा मिला. 


ये पहला मौक़ा था जब किसी कट्टरपंथी संगठन के दस्तावेज़ों में भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारित कर योजनाबद्ध करवाई के लिखित सबूत मिले हैं. ख़ुफ़िया एजेंसियां तब और चौकी जब यहां से बरामद दस्तावेज़ों में तुर्की, पाकिस्तान और मुस्लिम देशों से मदद लेने की योजना भी इन दस्तावेज़ो में मिली. यहां से ही खुलासा हुआ कि पीएफ़आई अब एक कट्टरपंथी संगठन से आगे निकल कर देश को तोड़ने और सांप्रदायिक उन्माद भड़का कर देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने की और बढ़ चला है.


NIA को बनाया गया नोडल एजेंसी 


फुलवारी शरीफ की रिपोर्ट अमित शाह के सामने रखी गई. गृह मंत्री अमित शाह ने देश भर में पीएफ़आई के नेटवर्क को ख़त्म करने के लिए केंद्र और राज्य की एजेंसियों के साझा ऑपरेशन चलाने के निर्देश दिए. इसके लिए एनआईए को नोडल एजेंसी बनाया गया. एनआईए ने राज्यों के एंटी टेररिस्ट स्क्वाड और स्पेशल टास्क फ़ोर्स के प्रमुखों के साथ बैठके की. राज्यों से पीएफ़आई के गतिविधियों की ख़ुफ़िया रिपोर्ट साझा करने के लिए कहा गया. तक़रीबन एक हफ़्ते के भीतर सभी राज्यों ने इस कट्टरपंथी संगठन की ख़ुफ़िया रिपोर्ट और डोज़ियर एनआईए के साथ साझा किया. तथ्य चौंकाने वाले थे अब एक्शन में सभी एंजेसियां एक साथ आईं और अमित शाह के सामने 29 अगस्त को पीएफ़आई और ऐसे ही तमाम संगठन मसलन एसडीपीआई, कैंपस फ़्रंट ऑफ़ इंडिया जैसे संगठनों का डोजियर रखा गया.


अवैध पैसे के लेन-देन के मिले सबूत


इस जांच में ईडी को भी शामिल किया गया क्योंकि ख़ुफ़िया रिपोर्ट में विदेशी से अवैध पैसे के लेन-देन के सबूत भी एजेंसियों को मिले थे. पीएफ़आई के खिलाफ बड़े एक्शन की योजना बनाई गई लेकिन यह भी तय किया गया कि एजेंसियां पहले पूरा होमवर्क करेंगी. बैठक के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉ. आईबी, NIA के प्रमुख समेत कई बड़े अधिकारी शामिल हुए थे. शाह ने यह साफ कर दिया था कि पीएफआई के पूरे कैडर, फंडिंग और आतंकी नेटवर्क को खत्म करना है और इसमें जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए. अलग-अलग एजेंसियों के शामिल करने के बाद अब तैयारी छापों की पूरी हो चुकी थी.


सूत्रों के अनुसार, एजेंसियों को हत्याओं और जबरन वसूली मामले में पीएफआई कैडर के शामिल होने से जुड़ी सभी जानकारियां लिखने के निर्देश जारी किए गए. NIA को मामलों की जांच और देशभर में कैडर को पकड़ने के लिए ट्रैप तैयार करने के लिए कहा गया. केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से भी PFI से जुड़े कई मामले एनआईए को सौंपे गए थे जिनकी जांच पहले राज्य की पुलिस कर रही थी.


केरल और कर्नाटक में चल रही थी पीएफआई की ज्यादातर गतिविधियां


29 अगस्त की बैठक के बाद ईडी को पीएफआई की फंडिंग, विदेश से मदद और अवैध लेनदेन से जुड़ी शुरुआती रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई. साथ ही राज्य की पुलिस को भी योजना तैयार करने का फैसला लिया गया. इस दौरान उन राज्यों को विशेष तौर पर शामिल किया गया जो इस संगठन को लेकर चिंता जाहिर कर रहे थे और उनकी अवैध गतिविधियों का रोज सामना कर रहे. सबसे ज़्यादा गतिविधियों केरल और कर्नाटक में चल रही थी. यहां ख़तरा आईएसआईएस के सर उठाने का भी मंडरा रहा था जिसे खाद-पानी पीएफ़आई ही मुहैया करा रहा था.


'ऑपरेशन ऑक्टोपस' दिया गया नााम


पहली बड़ी छापेमारी 22 सितंबर को देश भर में एक साथ 11 राज्यों में की गई. इस करवाई को “ऑपरेशन ऑक्टोपस” नाम दिया गया. टेरर फंडिंग और कैम्प चलाने के मामले में जांच एजेंसी ने ये कार्रवाई की. ईडी, एनआईए और राज्यों की पुलिस ने 11 राज्यों से पीएफआई से जुड़े 106 लोगों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया. एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली अध्यक्ष परवेज अहमद को गिरफ्तार कर लिया. इनमें से कुछ लोगों को एनआईए के दिल्ली हेडक्वार्टर लाया गया. वहीं एनआईए के दफ्तर की सुरक्षा बढ़ा दी गई. 


गृह मंत्री अमित शाह ने देशभर में पीएफआई के खिलाफ जारी रेड को लेकर एनएसए, गृह सचिव और डीजी एनआईए के साथ बैठक भी की. गिरफ़्तार पीएफ़आई केडर और कट्टरपंथी नेताओं से पूछताछ में जो खुलासे हुए वे एजेंसियों के लिए और भी ज़्यादा चौंकाने वाले थे. ऐसा ही एक खुलासा देश भर में “पीएफ़आई का अपना ख़ुफ़िया तंत्र” विकसित कर लेना था. पीएफआई की अपनी इंटेलिजेंस विंग हर ज़िले में काम कर रही थी जो हिन्दुवादी नेताओं के साथ -साथ पुलिस और ख़ुफ़िया तंत्र की जासूसी करती थी.


पीएफ़आई ने हर ज़िले में पेरलल नेटवर्क खड़ा कर दिया था जिसका इस्तेमाल सांप्रदायिक उन्माद भड़का कर देश किया अस्थिर करना इनकी मंशा थी. लेकिन अब केंद्र सरकार पीएफ़आई की मंशा पर पानी फेरने की तैयारी कर चुकी है. आने वाले समय में और भी ज़्यादा छापेमारी देखने को मिल सकती है.


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