PFI Ban: पीएफआई पर जारी रहेगा बैन, यूएपीए ट्रिब्यूनल ने सरकार के फैसले को बताया सही
UAPA On PFI Ban: पिछले साल 2022 में केंद्र सरकार ने देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आधार पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसको यूएपीए ट्रिब्यूनल ने सही माना है.
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UAPA On PFI Ban: गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत गठित एक ट्रिब्यूनल ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को गैर कानूनी संगठन घोषित करने वाले केंद्र सरकार के फैसले की पुष्टि कर दी है. केंद्र सरकार ने गैरकानूनी संगठन घोषित करते हुए पीएफआई पर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया था.
इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों से कथित रूप से संबंध होने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में बीते बरस 27 सितंबर को केंद्र सरकार ने पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. मामले से जुड़े वकीलों ने पुष्टि की कि ट्रिब्यूनल की अगुवाई कर रहे दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने अपने फैसले में संगठन पर प्रतिबंध की पुष्टि की है.
पीएफआई के साथ इन संगठनों पर भी रोक
केंद्र ने पीएफआई और इसके सहयोगी या इससे संबंद्ध संगठनों पर रोक लगा दी थी, जिसमें रेहाब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यमून राइट्स ऑर्गनाइज़ेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वूमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, इम्पावर इंडिया फाइंडेशन और रेहाब फाउंडेशन, केरल शामिल थे. नेशनल वूमंस फ्रंट की पैरवी कर रहे वकील कार्तिक वेणु ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने सभी आठ संगठनों पर प्रतिबंध की पुष्टि की है.
केंद्र का पीएफआई पर एक्शन
केंद्र सरकार ने पिछले साल 27 सितंबर को जारी अधिसूचना में कहा था ‘‘उक्त कारणों के चलते केंद्र सरकार का दृढ़ता से यह मानना है कि पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए उसे और उसके सहयोगियों या मोर्चों को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन घोषित करना जरूरी है. उक्त अधिनियम की धारा-3 की उपधारा (3) में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इसे गैर-कानूनी घोषित किया जाता है.’’ पीएफआई से कथित रूप से जुड़े 150 से अधिक लोगों को पिछले साल सितंबर में सात राज्यों में छापेमारी के दौरान हिरासत में लिया गया था या गिरफ्तार किया गया था.
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