UP ATS: पीएफआई से संबंध होने के शक में यूपी एसटीएफ ने गाजियाबाद जिले से 10 लोगों को हिरासत में लिया था. इनमें से गांव कलछीना में रहने वाले 4 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें अब छोड़ दिया गया है. एबीपी न्यूज़ जब कलछीना गांव में पहुंचा और इन लोगों से इनकी आपबीती जाननी चाही तो 2 लोग अपने घर पर मौजूद मिले, जबकि दो लोग किसी काम से गांव से बाहर जा चुके थे. 


इन लोगों ने कहा कि एटीएस हमें पीएफआई से संबंध रखने के शक में पूछताछ के लिए लेकर गई थी. लेकिन जब ऐसा कोई सबूत हाथ नहीं लगा तो हम सभी को छोड़ दिया गया. इसके अलावा इन दोनों ने एक बात कही कि एटीएस के जो भी कर्मचारी और अधिकारी थे, सभी का व्यवहार अच्छा था. किसी ने किसी से भी किसी प्रकार की कोई बदतमीजी नहीं की और न ही उन्हें नाजायज परेशान किया.


हाफिज इम्तियाज ने सुनाई आपबीती


हाफिज इम्तियाज ने बताया कि "मैं मस्जिद में नमाज पढ़ाता हूं, इसके अलावा मदरसे में भी पढ़ाता हूं. मैं इसी गांव में पैदा हुआ और यहीं पला-बड़ा हूं. 6 मई को हमारे गांव में एटीएस की टीम आईं थी. इसके बाद मुझे मेरे घर से ले जाया गया. मैं नमाज पढ़ाकर घर आया, तभी एटीएस के पुलिसकर्मियों ने कहा कि आपको हमारे साथ चलना होगा. आप से पूछताछ करनी है." 


गांव से तीन अन्य लोगों से पूछताछ 


इम्तियाज ने आगे बताया, इसके अलावा मेरे गांव से ही तीन अन्य लोगों को भी पूछताछ के लिए एटीएस टीम अपने साथ लेकर गई थी. वो अलग गाड़ी में थे और मैं अलग गाड़ी में था. मैं अपने गांव से ज्यादा बाहर आता जाता नहीं हूं, इसलिए मुझे पता नहीं कि वो मुझे कहां लेकर गए थे और कहां ले जा रहे थे. मेरे मन में थोड़ा डर भी था, क्योंकि बीच रास्ते में जो दूसरी गाड़ी थी वो दूर चली गई. मुझे और तीन अन्य लोगों को एटीएस के दफ्तर में ले जाया गया. 


पीएफआई से जुड़े हैं या नहीं? 


इम्तियाज ने कहा, हमसे रात भर पूछताछ की गई. हमसे पूछा गया कि आप पीएफआई से जुड़े हैं या नहीं? आपके पास कितने पैसे जमा हैं? आपके पास कितनी जमीन है. परिवार में कौन-कौन हैं? आप क्या काम करते हैं? मैंने सभी सवालों का सच जवाब दिया. मुझसे पीएफआई को लेकर भी पूछा गया? मैंने कहा कि इस संगठन को मैं नहीं जानता हूं, और ना कभी मैं इससे जुड़ा हूं. जब हर तरफ से एटीएस को तसल्ली हो गई, तो उन्होंने कहा कि हम आपको कल छोड़ देंगे. 


परिवारवालों से बात करवा दीजिए 


हाफिज इम्तियाज ने कहा, "इसके बाद मेरे परिवार को भी सूचित किया गया. मैंने उनसे रिक्वेस्ट किया था कि मेरी परिवारवालों से बात करवा दीजिएगा, क्योंकि उनको काफी चिंता हो रही होगी, तो उन्होंने मेरी बात भी करवा दी थी. हमसे अच्छी तरीके से पेश आया गया. किसी प्रकार की कोई बदतमीजी नहीं की गई. हम यही कह रहे हैं कि हमारा पीएफआई से कोई लेना देना नहीं है. चार-पांच महीने पहले भी हमसे भोजपुर थाने में पीएफआई को लेकर पूछताछ की गई थी. तब भी कुछ नहीं निकला था. हालांकि एटीएस ने कहा है कि आगे से आपको पीएफआई के चलते पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाएगा."


हाफिज मौजुदीन से सवाल-जवाब


वहीं, हाफिज मौजुदीन ने बताया कि "मैं वर्ष 2002 से लेकर दिसंबर 2022 तक गांव की ही मस्जिद में हाफिज के पद पर रहा हूं. मुझे हर महीने 7000 रुपये की पगार मिलती थी. मैं मस्जिद में नमाज पढ़ाने का काम करता था और मदरसे में भी पढ़ाया करता था. 6 मई की शाम को हमारे गांव में बड़ी संख्या में यूपी एटीएस की टीम आई थी, जो मुझे पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई थी. 


एटीएस के सवाल


मौजुदीन ने कहा कि एटीएस ने मुझसे मेरे परिवार के बारे में पूछताछ की. मेरी शादी कहां हुई, कब हुई, किससे हुई, ससुराल में कौन-कौन है? ये सब भी पूछा गया. मेरे बैंक अकाउंट से संबंधित जानकारी मुझसे पूछी गई. पीएफआई के बारे में मैं क्या जानता हूं? क्या मैं पीएफआई से कभी जुड़ा हूं या नहीं? रात भर हमसे पूछताछ की गई थी और उनका यही कहना था कि आपका नाम लिस्ट में है. उस लिस्ट में है, जो लोग पीएफआई से जुड़े हुए हैं. 


नमाज पढ़ने के लिए जगह दी


उन्होंने कहा कि मुझे भी ये समझ नहीं आया कि आखिर हमारा नाम इस सूची में कैसे पहुंचा? क्योंकि हम कभी पीएफआई से नहीं जुड़े. एटीएस के जो भी पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी थे, उन्होंने हमसे अच्छा व्यवहार किया. ऊंची आवाज में बात नहीं की और ना ही किसी प्रकार का कोई दुर्व्यवहार किया. हमें खाना भी खिलाया, चाय भी पिलाई.


हमने कहा कि हमें नमाज पढ़नी है. नमाज पढ़ने के लिए जगह भी उपलब्ध कराई और कपड़ा भी उपलब्ध करवाया. बस हमारे मन में यही सवाल आता है कि आख़िर हमें बार-बार पूछताछ के लिए क्यों ले जाया जाता है? क्योंकि इससे पहले भी चार-पांच महीने पहले हमसे पूछताछ की गई थी, तब भी कुछ नहीं  निकला था.


इनके अलावा एटीएस डॉ. उमर और जुल्फिकार नाम के व्यक्तियों को भी पूछताछ के लिए ले गई थी. हालांकि इन्हें भी छोड़ दिया गया है. एबीपी न्यूज़ इनके घर भी पहुंचा था लेकिन ये दोनों ही किसी काम से गांव से बाहर गए हुए थे.


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