PFI के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर बेकसूर कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा: IUML
पिछले सितंबर में संगठन के हड़ताल के ऐलान पर हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के सिलसिले में केरल में गिरफ्तार किए गए PFI कार्यकर्ताओं की संपत्तियों को कुर्क किया जा रहा है.
NIA ACtion On PFI : केरल में कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) के प्रमुख सहयोगी दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने रविवार (22जनवरी) को आरोप लगाया कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर उसके बेकसूर कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है.
आईयूएमएल ने कहा कि प्रतिबंधित पीएफआई के गिरफ्तार नेताओं के खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू करने के तहत राज्य सरकार ने आईयूएमएल के निर्दोष कार्यकर्ताओं की संपत्तियों को जब्त कर लिया है. पिछले साल सितंबर में पीएफआई की हड़ताल के दौरान हुई हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के सिलसिले में केरल में गिरफ्तार किए गए पीएफआई कार्यकर्ताओं की संपत्तियों को कुर्क किया जा रहा है.
असली दोषियों को बचाने का आरोप
केरल हाई कोर्ट द्वारा इस संबंध में उसके आदेश को क्रियान्वित करने में सरकार की देरी पर नाराजगी व्यक्त करने के दो दिन बाद हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू की गई थी. पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सरकार पर “आईयूएमएल के निर्दोष कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने” का आरोप लगाते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता पी के कुन्हालीकुट्टी ने आरोप लगाया कि हड़ताल के दौरान “हिंसा में शामिल असली दोषियों को बचाने” के लिए ऐसा किया जा रहा है.
इस बीच, राज्य के राजस्व मंत्री के राजन ने रविवार (22जनवरी ) को कहा कि पीएफआई के गिरफ्तार नेताओं की संपत्तियों की कुर्की का काम सोमवार तक पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की संपत्तियों की कुर्की अदालत के निर्देश पर ही की जा सकती है. मंत्री ने कहा कि कुर्की प्रक्रिया के बारे में एक रिपोर्ट सोमवार को हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी. अब प्रतिबंधित पीएफआई नेताओं से संबंधित संपत्तियों को कुर्क करने की राजस्व वसूली प्रक्रिया सोमवार तक पूरी हो जाएगी.
23 जनवरी तक जिलेवार रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था
कुर्की की प्रक्रिया हाई कोर्ट के निर्देशानुसार की जा रही है. इस संबंध में एक रिपोर्ट सोमवार (23 जनवरी) को हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी." राजन ने कोच्चि में मीडिया को बताया. उन्होंने कहा कि यह राजस्व वसूली अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत किया जा रहा है.
हाई कोर्ट ने 18 जनवरी को राज्य सरकार को वसूली पूरी करने और 23 जनवरी तक जिलेवार रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था. साथ ही कहा कि वसूली की कार्यवाही करने से पहले नोटिस जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
कोर्ट ने देरी पर नाराजगी व्यक्त की है क्योंकि राज्य सरकार ने पिछले महीने 15 जनवरी तक वसूली पूरी करने का आश्वासन दिया था. अदालत ने कहा कि राज्य व्यापी हड़ताल में हिंसा के दौरान संपत्ति के नुकसान के कारण 86 लाख रुपये का नुकसान हुआ.
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