Organisation Banned In India: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 28 सितंबर को भारत सरकार ने पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया. पीएफआई उन 39 संगठनों की लिस्ट में शामिल हो गया, जिन्हें पहले देश में प्रतिबंधित किया गया था. आइए आपको ऐसे ही पांच संगठनों के बारे में जानकारी देते हैं. साथ ही ये भी बताते हैं कि इन संगठनों को किस वजह से बैन किया गया.
इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISFY)
खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और खालिस्तान कमांडो फोर्स जैसे अन्य समान संगठनों के साथ, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन भारत में प्रतिबंधित है. हालांकि, यह केवल भारत ही नहीं है जिसने इस संगठन को कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया है. इसे जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका में आतंकवादी संगठन (Terrorist Organisation) माना जाता है. इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन सिखों के लिए एक स्वायत्त देश खालिस्तान बनाना चाहता है.
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA)
भारत सरकार ने 1990 में अपनी अलगाववादी गतिविधियों के कारण यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम, जिसे यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के रूप में भी जाना जाता है, उसपर प्रतिबंध लगा दिया था. कई रिपोर्टों के अनुसार, इस संगठन ने कई राजनेताओं, नौकरशाहों और व्यवसायियों से धन जुटाने के लिए जबरन वसूली की थी. मादक पदार्थों की तस्करी के अलावा, यह अन्य संगठित आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल रहा है.
दीनदार अंजुमन
हैदराबाद स्थित इस्लामिक धार्मिक समूह का मानना है कि इस्लाम और लिंगायतवाद के संस्थापक सिद्धांत समान हैं. 2000 में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बम विस्फोट करने का आरोप लगने के बाद, 2001 में इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था. हालांकि, समूह ने घटनाओं में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया और कहा कि यह एक संप्रदाय था जिसने सभी धर्मों के भारतीयों को एक साथ लेने के लिए इस्लाम का अभ्यास और प्रचार किया था.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) - पीपुल्स वार (PW)
1992 में आंध्र प्रदेश में CPI (ML) PW को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था. उसके बाद, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और ओडिशा राज्यों को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर गैरकानूनी घोषित करने के लिए कहा गया. हालांकि, पार्टी को अभी भी अस्तित्व में रहने दिया गया था. पार्टी के हजारों कार्यकर्ता मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में थे. 2004 में भाकपा (माले) पीडब्लू और उसके सभी प्रमुख संगठनों को एक 'आतंकवादी' संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर दिया गया था.
लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE)
लिट्टे का मुख्य उद्देश्य एक स्वतंत्र तमिल राज्य बनाना था. पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) और श्रीलंका के राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा सहित कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं ने लिट्टे को अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा हासिल करने में मदद की. नतीजतन भारत, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित 33 देशों ने लिट्टे को एक आतंकवादी समूह के रूप में वर्गीकृत किया और उस पर प्रतिबंध लगा दिया.
ये भी पढ़ें- Terror Funding Case: टेरर फंडिंग को लेकर PFI पर सरकार की स्ट्राइक, जानें क्या है इस बैन का मतलब
ये भी पढ़ें- Explained: हत्या, आतंकी हमले, जहां-जहां हुई हिंसा वहां-वहां PFI, जानें साजिश का पूरा सिलसिला