नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन की दिशा में एक बेहद ही सकारात्मक खबर आई है जो इस वायरस से लड़ने की कोशिशों को और मजबूत करता है. अमेरिका की दवा कंपनी फाइजर ने दावा किया कि तीसरे फेज के कोरोना वैक्सीन का फाइनल विश्लेषण बताता है कि ये 95 फीसदी तक प्रभावी है. इसके साथ ही कंपनी ने दावा किया कि ये सुरक्षा मानकों पर भी खरी उतरी है. कंपनी ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि विश्लेषण में बड़े वयस्कों में भी ये कारगर रहा और किसी तरह की कोई गंभीर सुरक्षा चिंता नहीं देखने को मिली. अब कंपनी ने इस वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मांगी है.
कंपनी के मुताबिक, ट्रायल में शामिल होने वाले 170 वॉलंटियर्स में कोरोना का संक्रमण देखने को मिला. इसमें से 162 को प्लेसीबो या प्लेन सैलीन शॉट दिया गया जबकि आठ को वास्तविक वैक्सीन मिला था. फाइजर ने कहा कि नतीजे 95 फीसदी प्रभावी रहे.
कब शुरु हुआ था तीसरा ट्रायल?
जानकारी के मुताबिक, इस वैक्सीन के फेज थ्री का क्लीनिकल ट्रायल 27 जुलाई को शुरू हुआ था. फाइजर ने बताया कि इसमें 43 हजार 661 वॉलंटियर्स शामिल हुए थे. इसमें से 41 हजार 135 वॉलंटियर्स को वैक्सीन का दूसरा डोज दिया गया था.
बता दें कि फाइजर ने ठीक एक सप्ताह पहले 90 फीसदी तक प्रभावी वैक्सीन विकसित करने की घोषणा की थी. फाइजर और मॉडर्ना के टीके मैसेंजर आरएनए का इस्तेमाल करते हैं.
भारत में क्या है चुनौती?
जहां एक तरफ फाइजर कंपनी के दावे से उम्मीद जगी है वहीं इसके भंडारण को लेकर चुनौती भी है. भारत सरकार ने मंगलवार को कहा कि फाइजर कंपनी के कोविड-19 टीके का शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर भंडारण एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यदि भारत इस टीके को प्राप्त करता है तो सरकार संबंधित संभावनाओं की समीक्षा कर रही है. उन्होंने कहा कि हालांकि फाइजर कंपनी के टीके को भारत पहुंचने में कुछ महीने लग सकते हैं.
फाइजर और मॉडर्ना के नतीजे भारत के लिए क्यों हैं अच्छी खबर, दोनों में से कौन सी वैक्सीन है बेहतर?