देश में फाइजर की अमेरिकी वैक्सीन अगले महीने आ सकती है. सरकार इस दिशा में नियामक कानूनी अड़चनों में ढील देने का फैसला कर लिया है. दरअसल, फाइजर ने क्षतिपूर्ति संबंधी नियामकों में छूट मांगी थी. सरकार में अब इस बात पर सहमति है कि उसे यह छूट दे दी जाए. इस तरह की छूट कंपनी अमेरिका सहित उन सभी देशों से मांगती है जहां वैक्सीन की सप्लाई होनी है. अगर फाइजर की वैक्सीन पर सरकारी मंजूरी मिल जाती है तो भारत में यह चौथी वैक्सीन होगी. इससे पहले कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और रूस की स्पूतनिक वैक्सीन भारत के लोगों को दी जा रही है. 



सरकार और कंपनी में सहमति
टीओआई में छपी खबर के मुताबिक क्षतिपूर्ति और खरीद प्रक्रिया को लेकर भारत सरकार और अमेरिकी कंपनी के बीच अंतिम समक्षौता होना बाकी है लेकिन दोनों तरफ से वैक्सीन की खरीद पर आम सहमति बन चुकी है. सूत्रों के मुताबिक सरकार क्षतिपूर्ति में पूरी तरह से छूट प्रदान कर सकती है. फाइजर को इस तरह के सीमित इस्तेमाल की छूट अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यूरोपियन मेडिसीन एजेंसी, मेडिसीन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलेटरी एजेंसी यूके, फर्मास्युटिकल एंड मेडिकल डिवाइसेज एजेंसी जापान की ओर से मिल चुकी है. इसके साथ ही फाइजर की वैक्सीन को WHO की इमरजेंसी सूची में भी जगह मिल चुकी है.  


पांच करोड़ खुराक भेज सकती है कंपनी 
एक रिपोर्ट के मुताबिक फाइजर ने जुलाई से अक्तूबर के बीच पांच करोड़ खुराक भारत को देने की बात कही थी. गौरतलब है कि बीते दिनों अमेरिकी कंपनी फाइजर ने कहा था कि वह 2021 में ही पांच करोड़ टीके उपलब्ध कराने को तैयार है मगर वह क्षतिपूर्ति सहित कुछ नियामकीय शर्तों में बड़ी छूट चाहती है.  इस अमेरिकी कंपनी ने पांच करोड़ टीके इसी साल उपलब्ध कराने का संकेत दिया है. इसमें एक करोड़ टीके जुलाई में, एक करोड़ अगस्त में और दो करोड सितंबर तथा एक करोड़ टीके अक्टूबर में उपलब्ध कराये जायेंगे. कंपनी ने कहा है कि वह केवल भारत सरकार से बात करेगी और टीकों का भुगतान भारत सरकार द्वारा फाइजर इंडिया को करना होगा. 


कौन सी छूट मांग रही कंपनी 
दरअसल, फाइजर ने टीके के संभावित दुष्प्रभावों को लेकर संरक्षण की मांग की है जिस पर भारत सरकार में सहमति बन चुकी है. जल्द इस बारे में निर्णय लिया जाएगा.  आमतौर पर किसी भी दवाई या वैक्सीन को लेकर अगर किसी तरह के दुष्रभाव सामने आते हैं तो कंपनी से हर्जाना वसूला जाता है. लेकिन वैक्सीन को जल्दी में तैयार किया गया है, इसलिए वैक्सीन निर्माताओं को इससे छूट की दरकार होती है. इस प्रकार की छूट  फाइजर ने अमेरिका समेत उन सभी देशों में मांगी थी, जहां उसके टीके की आपूर्ति की है. 


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