नई दिल्लीः दवा निर्माता कंपनी फाइजर ने भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति वापस ले ली है. फाइजर ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से कोरना वैक्सीन की इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के लिए अर्जी लगाई थी. फाइजर ने जिस समय इमरेजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी की अर्जी लगाई थी उस समय वह पहली दवा कंपनी थी. कंपनी के प्रवक्ता ने बताया, ''कंपनी की ओर से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी वापस ले ली गई है.'' ब्रिटेन और बहरीन में फाइजर की दवा को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली हुई है.


ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों इसके इस्तेमाल की मंजूरी वापस ली गई और यह दवा कितना असरकारक है. फाइजर कोरानावायस वैक्सीन की बात करें तो एक अध्ययन के अनुसार इस वैक्सीन की एक खुराक तीन हफ्तों बाद भी सुरक्षित और असरदार रहती है.


21 दिन बाद भी वैक्सीन असरकारक


यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया (यूईए) के शोधकर्ताओं ने कहा कि ये वैक्सीन दो कंपनी बायोएन्टेक और पी-फाइजर द्वारा बनाई गई है. इस वैक्सीन की पहली डोज देने के 21 दिन बाद भी ये वैक्सीन असरकारक रहती है. साथ ही अध्ययन के बाद पाया गया कि कोरोना वैक्सीन की पहली डोज देने के 12 हफ्ते बाद भी इसका प्रभाव 76 प्रतिशत रहता है और साथ ही इस बीमारी को एक-दूसरे से फैलने में 67 प्रतिशत तक रोकता है.


वैज्ञानिकों ने अध्य्यन के दौरान पाया कि वैक्सीन 21 दिनों के बाद ही 90 प्रतिशत असरदार हो जाती है. लेकिन, नौ हफ्ते बाद इम्यूनिटी में गिरावट आ सकती है. ध्यान देने वाली बात ये है कि वैज्ञानिको ने ये भी कहा है कि इसकी पहली डोज देने के 8 दिनों में संक्रमण का खतरा दोगुना हो सकता है, क्योंकि लोगों को यह लगता है कि अब उन्होंने कोरोना का टीका लगवा लिया, अब उन्हे कुछ नहीं होगा. इसी के चलते लोग सतर्कता नहीं बरतते हैं.


वहीं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 2 फरवरी को घोषणा की इस वैक्सीन के दो डोज को तीन महीनों के अंतराल लेने पर इसका प्रभाव 82.4 प्रतिशत तक रहता है. इस अध्ययन में खुशी बात ये है कि जिन लोगों को वैक्सीनेशन दिया गया है, वो ना केवल ठीक हुए है, बल्कि इस वैक्सीन से उनपर संक्रमण फैलने की संभावना भी कम हुई है.


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