विश्वविद्यालयों के विभागों और कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं होगी. हालांकि ऐसा सिर्फ एक जुलाई 2021 से एक जुलाई 2023 तक के लिए किया गया है. दरअसल, (यूजीसी) ने मंगलवार को कहा कि जुलाई 2023 तक सहायक प्रोफेसरों की सीधी भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं है.


कोविड-19 के मद्देनजर सहायक प्रोफेसरों की सीधी भर्ती के लिए अनिवार्य योग्यता के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग University Grants Commission (यूजीसी) ने एक जुलाई 2021 से एक जुलाई 2023 तक होने वाली भर्तियों के लिए पीएचडी की अनिवार्यता पर रोक लगा दी है. यूजीसी ने इस फैसले के संबंध में सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को नोटिस भी जारी कर दिया है. उम्मीदवारों को राहत इसलिए दी गई है जिससे यूनिवर्सिटी में खाली पड़े शिक्षकों के पद पर भर्ती की जा सके.


रोक लगाई गई है रद्द नहीं किया गया- शिक्षा मंत्री


पिछले दिनों केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भी कहा था कि, कोविड के कारण केवल इस साल पीएचडी अनिवार्यता के लिए रोक लगी है लेकिन इसे रद्द नहीं किया गया है. यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन के अनुसार यूजीसी ने विनियम, 2018 में खंड 3.10 के संबंध में एक संशोधन किया है जो यह निर्धारित करता है कि पीएचडी डिग्री विश्वविद्यालय के विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए एक अनिवार्य योग्यता होगी.


यूजीसी ने एक बयान में कहा कि इस संशोधन को यूजीसी (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय), संशोधन विनियमन, 2021 के रूप में जाना जाएगा.


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