तिरुअनंतपुरम/नई दिल्ली: मशहूर शायर अल्लामा इकबाल ने 'तराना-ए-हिंद' नाम के अपनी एक नज़्म में लिखा था, "मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना..हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा.'' नज़्म का पैग़ाम है कि कोई भी धर्म आपस में बैर करना नहीं सिखाता और हिन्दुस्तान के हर कोने में रहने वाले का वतन हिंदुस्तान है.


मुसलमानों के लिए पाक दिन ईद-मिलाद-उन-नबी के दौरान कुछ ऐसा ही हिन्दुस्तान देखने को मिला.  टू सर्किल डॉट नेट नाम की एक वेबसाइट के मुताबिक केरल के मालाबार इलाके में कई जगहों पर मुसलमानों के इस पवित्र दिन के मौके पर हिंदुओं ने मिठाइयां बांटी और भाईचारे की मिसाल पेश की और उनकी इस ज़िंदादिली, इंसान दोस्ती और भाईचारे की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.



टू सर्किल डॉट नेट के मुताबिक जिन हिन्दुओं ने मिठाइयां बांटीं उनमें कुछ लोग भगवान अयप्पा की पूजा को लेकर उपवास रखे हुए थे. लेकिन उन्होंने पूरी गर्मजोशी के साथ ईद-मिलाद-उन-नबी में हिस्सा लिया और मुसलमान भाइयों को मिठाइयां और शरबत बांटी.



हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द की जो मिसाल केरल के लोगों ने पेश की है. भारत का अतीत इस तरह के किस्सों और कहानियों से भरा हुआ है. हालांकि इस रिश्ते को चोट पहुंचाने में कुछ फिरकापरस्त ताकतें कामयाब भी हुई हैं, लेकिन केरल का यह वाकया इस बात की मिसाल पेश करता है कि नफरत और मुहब्बत की लड़ाई में जीत हमेशा मुहब्बत की ही होती है.