सुप्रीम कोर्ट ने अंडमान एवं निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को दुष्कर्म के मामले में जमानत दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाएं गुरुवार (24 अगस्त) को खारिज कर दीं. नारायण को कलकत्ता हाईकोर्ट की पोर्ट ब्लेयर सर्किट पीठ ने 20 फरवरी को जमानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की ओर से जमानत दिए जाने के खिलाफ राज्य और शिकायतकर्ता महिला की याचिकाओं को खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया.


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस ए अमानुल्ला की पीठ ने कहा, 'हमने खाचिकाएं खारिज कर दी हैं.' कोर्ट ने कहा कि उसने निचली अदालत को सुनवाई में तेजी लाने का भी निर्देश दिया है, जिसमें संबंधित पक्ष पूरा सहयोग देंगे. महिला ने आरोप लगाया कि उसे सरकारी नौकरी दिलाने का वादा कर तत्कालीन मुख्य सचिव के आवास में बुलाया गया और नारायण एवं अन्य ने उसके साथ दुष्कर्म किया.


पिछले साल 10 नवंबर को हुई थी जितेंद्र नारायण की गिरफ्तारी
एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने नारायण को जमानत दिए जाने के खिलाफ 21 वर्षीय महिला की ओर से दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. नारायण को पिछले साल 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ एक अक्टूबर 2022 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. तब वह दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के पद पर थे. सरकार ने उन्हें पिछले साल 17 अक्टूबर को निलंबित कर दिया था.


1 अगस्त की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला
जितेंद्र नारायण 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था. एसआईटी ने इस मामले में तीन फरवरी को 935 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था. एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.


आरोपी के वकील का दावा- बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया मामला
अभियोजन पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि पूर्व मुख्य सचिव को जमानत देने का कोई कारण नहीं है क्योंकि रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री के आधार पर उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है. उन्होंने मामले में सीसीटीवी फुटेज समेत सबूतों को नष्ट करने का भी आरोप लगाया और कहा था कि पीड़िता का बयान दुष्कर्म का मामला साबित करने के लिए पर्याप्त है. आरोपी के वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल को फंसाया गया है और इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.


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