नई दिल्ली: बदलते वक्त के साथ बच्चों की पढ़ाई के तरीकों में बदलाव आया है. मौजूदा दौर में हर उम्र के बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग-अलग तरह के संस्थान बनाए गए हैं. डिजिटल क्लासेज और प्ले स्कूल जैसे संस्थान भूमंडलीकरण और आधुनिक समाज की देन है. मां-बाप हर तरह से इस कोशिश में लगे हैं कि कैसे उनके बच्चे स्मार्ट और टैलेंटेड बनें.
लेकिन इन सब के बीच यह भी देखने को मिला है कि मासूम बच्चों के कंधों पर किताबों का बोझ लाद दिया जाता है. बच्चें, मजदूर की तरह इसे ढ़ोते दिखाई पड़ते है. शहरों में सुबह-सुबह इस तरह के नजारे आम हैं. हाल ही में हैदराबाद में छोटे स्कूली बच्चों से जुड़ा एक ऐसा ही मामला सामने आया है जो सुर्खियों में है.
हैदराबद के सुरेन नाम के एक ट्विटर यूजर ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें एक बच्चा स्कूल में प्रार्थना की लाइन में खड़ा है और उसके जेब में पराठा दिख रहा है. यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और स्कूल मैनेजमेंट सवाल के घेरे में है. सुरेन ने इस पोस्ट में एचआरडी मिनिस्ट्री और तेलंगाना के मंत्री केटी रामा राव को टैग करते हुए लिखा, ''जेब में सुबह का ब्रेक फास्ट, अधूरी नींद, स्कूल की टाइमिंग 10 बजे से 5.30 मिनट तक क्यों नहीं, कृपया सोचें.''
इस ट्वीट का जवाब देते हुए तेलंगाना के मंत्री केटी रामा राव ने लिखा, ''मैं सहमत हूं कि इस तस्वीर ने आपका दिल तोड़ा. बच्चें के लिए बचपन जरुरी है ना कि इस तरह का प्रेशर कूकर माहौल''.
हालांकि अभी तक इस तस्वीर की पुष्टी नहीं हो पाई है. लेकिन ट्विटर पर सुरेन के पोस्ट के बाद लोग लगातार अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.