नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च में प्रोफेसर मधु किश्वर ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामांकन को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की है. ये याचिका 20 पेजों की है. इस याचिका को किसी वकील की मदद से तैयार या दायर नहीं किया गया है.


मधु किश्वर ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामंकित करना एक राजनीतिक नियुक्ति जैसा लग रहा है. उन्होंने अपनी याचिका में ये भी बताया है कि गोगोई ने अपने कार्यकाल में कुछ ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं. इस तरह की नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट में उसकी अध्यक्षता में दिए गए निर्णयों की विश्वसनीयता पर लोगों को संदेह हो सकता है.


मधु किश्वर ने रंजन गोगोई के एक बयान का भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा कि गोगोई ने बयान दिया था, ''सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्ति न्यायपालिका की न्यायिक स्वतंत्रता पर एक धब्बा है.'' उन्होंने लिखा कि रंजन गोगोई का ये बयान बताता है कि जजमेंट किसी भी डर या पक्षपात के बिना दिया जाता है. रंजन गोगोई के राज्यसभा में नामंकन को लेकर उनका कहना है कि इस तरह का नामांकन देश की सर्वोच्च न्यायपालिका पर सवाल खड़े करता है.


याचिका में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 के तहत सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी देने पर प्रतिबंध लगाने के की भी बात की गई है. बता दें कि रंजन गोगोई भारत के 46 वें मुख्य न्यायाधीश थे और 13 महीने से अधिक समय तक इस पद पर रहे. गृह मंत्रालय ने सूचना दी थी कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रंजन गोगोई का नाम राज्यसभा के लिए नामांकित किया है.


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