नई दिल्ली: राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अभिषेक मनु सिंघवी से उन्हें (पायलट) और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने को लेकर जारी नोटिस के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने को लेकर कानूनी मदद के लिए संपर्क किया.अभिषेक मनु सिंघवी कहा, "दो दिन पहले, उन्होंने मुझे फोन किया. वह एक अच्छे दोस्त हैं और मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है. मैंने उन्हें यह बताए बिना कि मैं विपक्षी पक्ष को सलाह दे रहा हूं, उनसे कहा कि उनके लिए सलाह देना मेरे लिए सम्मानजनक नहीं है"


सिंघवी ने कहा, "तो, हम दोनों हंस पड़े थे." इस बीच, पायलट और उनके 18 वफादार विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी के अयोग्यता का नोटिस जारी करने के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया है.


अध्यक्ष ने पायलट और उनके सहयोगी विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया


जहां पायलट ने राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया, वहीं कांग्रेस ने रणनीतिक रूप से दो दिनों में विधायक दल की दो बैठकें बुलाकर पायलट से बैठक में भाग लेने की अपील की. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस 10वीं अनुसूची के पैरा 2 के खंड (ए) को लागू करना चाहती है. अध्यक्ष ने पायलट और उनके सहयोगी विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.


सचिन पायलट अगर वापसी करते है तो कुछ महीनों में हुए बड़़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है- कांग्रेस


वहीं, राहुल ने बुधवार को ही पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई के पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बिना सचिन का नाम लिए टिप्पणी की कि जिसे जाना है वह जाएगा, पार्टी छोड़ कर जाने वालों से घबराने की जरूरत नहीं है. तब माना गया कि सचिन की बगावत को लेकर राहुल का रुख सख्त है लेकिन अब नई जानकारी के मुताबिक राहुल सचिन की ससम्मान वापसी का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.


कांग्रेस सूत्रों की मानें तो बिना शर्त यदि सचिन घर वापसी करते हैं और गहलोत सरकार को समर्थन का एलान करते हैं तो कुछ महीनों बाद उन्हें केंद्रीय स्तर पर महासचिव जैसी कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन अगर पायलट अपनी जिद पर अड़े रहे तो कांग्रेस आखिरी वक्त तक अपने दरवाजे खुले रख कर उनसे सहानुभूति बटोरने का मौका भी छीन लेना चाहती है. इसीलिए कांग्रेस दोहरी रणनीति अपना रही है.


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