नीतीश गोडसे की विचारधारा वालों के साथ- प्रशांत
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘’सीएम नीतीश कुमार से मेरे मतभेद के दो कारण हैं. लोकसभा चुनाव से ही मेरे उनसे मतभेद थे. पहला मतभेद विचारधारा को लेकर था और दूसरा मतभेद बीजेपी से गठबंधन को लेकर था.’’ पीके ने कहा, ‘’नीतीश ने कहा था कि वह गांधी, जेपी और लोहिया को नहीं छोड़ सकते. लेकिन वह गोडसे की विचारधारा वालों के साथ हैं.’’
नीतीश कुमार ने मुझे बेटे की तरह रखा- प्रशांत
इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरूआत में प्रशांत किशोर ने कहा, ‘’नीतीश कुमार ने मुझे बेटे की तरह रखा. मैं भी उन्हें पितातुल्य मानता हूं. नीतीश जी ने मुझे जेडीयू से बाहर करने का जो भी निर्णय लिया, वह मुझे स्वीकार है.’’ उन्होंने कहा, ‘’मेरा उनसे कोई विवाद नहीं है. मैं इसपर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. ये उनका अधिकार था, मुझे जेडीयू में रखना चाहते हैं या नहीं. उनके लिए जो आदर पहले था, वह आगे भी रहेगा.’’
बता दें कि बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसको लेकर सभी दलों ने अपनी रणनीति अभी से बनानी शुरू कर दी है. प्रशांत किशोर को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. कुछ दिन पहले कयास लगाए गए थे कि वह लालू प्रसाद यादव की आरजेडी या कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. लेकिन उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस में जाने से साफ इनकार कर दिया था.
साल 2015 के बाद बढ़ी थीं नीतीश-प्रशांत की नज़दीकियां
पीके की आई-पैक ने साल 2015 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रचार अभियान का जिम्मा संभाला था. इस चुनाव में सफलता मिलने के बाद पीके और नीतीश में नजदीकियां बढ़ी थीं. पीके ने ना केवल जद (यू) की सदस्यता ग्रहण की थी, बल्कि उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष भी बना दिया गया था. प्रशांत किशोर ने साल 2017 में पंजाब और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए, साल 2019 में पश्चिम बंगाल उपचुनाव के लिए और 2019 में आंध्र प्रदेश में वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के प्रचार अभियान की कमान संभाली थी.
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