India China On LAC: भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे (Manoj Pande) 12 नवंबर को सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट कर दिया था कि चीन एलएसी के साथ-साथ बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है. लद्दाख में कब्जे वाले अक्साई चिन में पीएलए सैनिकों की कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं हुई है. हिंदुस्तान टाइम्स पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा कि सर्दियों के शुरू होते ही अब पीएलए के पश्चिमी थिएटर कमांड और रिजर्व के रूप में लाए गए तीन संयुक्त सशस्त्र ब्रिगेड की आवाजाही पर नजर रखी जा रही है. 


विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने बार-बार कहा है कि एलएसी पर शांति द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने की एकमात्र कुंजी है, जिसे मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में पीएलए के उल्लंघन के बाद गहरा झटका लगा था. बता दें कि भारतीय सेना की शीतकालीन स्थिति इस बात पर भी निर्भर करेगी कि क्या तीन संयुक्त सशस्त्र ब्रिगेड (प्रत्येक ब्रिगेड में लगभग एक डिवीजन के सहायक तत्वों के साथ 4,500 सैनिक हैं) अपने ठिकानों पर वापस जाएगी या पश्चिमी थिएटर कमांड में गहराई वाले क्षेत्रों में तैनात रहेगी.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएलए ने एक संयुक्त सशस्त्र ब्रिगेड को चीन-भूटान सीमा के पास सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक रिजर्व के रूप में तैनात किया है और दो अन्य PLA ब्रिगेड अरुणाचल प्रदेश में तैनात हैं. इन तीनों ब्रिगेड को पीएलए के पूर्वी और दक्षिणी थिएटर कमांड से वेस्टर्न थिएटर कमांड में शामिल किया गया था. 


सर्दियों में भारत के लिए बड़ी चुनौती...


अब जब 20वीं पार्टी कांग्रेस समाप्त हो गई है और शी जिनपिंग तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुने गए हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों को उम्मीद है कि पीएलए ब्रिगेड अपने मूल ठिकानों पर वापस चले जाएंगे. वरना सर्दियों के दौरान भारतीय सेना की तैनाती को गहराई वाले इलाकों में इन अतिरिक्त बलों को भी ध्यान में रखना होगा.


अक्साई चिन में चीन ने बढ़ाई सैन्य ताकत


PLA कब्जे वाले अक्साई चिन में पूरी तरह से तैनात हैं, जिसमें रॉकेट, आर्मर, आर्टिलरी और मिसाइल सपोर्ट रेजीमेंट के साथ सेना के दो डिवीजन और बॉर्डर गार्ड डिवीजन हैं. भारतीय सेना भी पूर्वी लद्दाख में कवच और सहायक तत्वों के साथ बड़ी संख्या में तैनात है. एक अधिकारी के मुताबिक, होतान, काशगर, ल्हासा और न्यिंगची हवाई अड्डों पर लड़ाकू विमानों के अलावा गार गुंसा हवाई अड्डे पर पीएलए वायु सेना भी स्टैंडबाय पर है.


भारत की भी तैयारी पूरी


गौरतलब है कि भारत ने पैंगोंग झील में भी नए लैंडिंग क्राफ्ट और गश्ती नौकाएं तैनात की हैं. 135 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील, जिसका एक बड़ा हिस्सा तिब्बत में है, दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झील है और लेह से 54 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, लैंडिंग क्राफ्ट में 35 सैनिक या एक जीप और 12 जवान सवार हो सकते हैं. अधिकारियों ने कहा है कि निगरानी के लिए खरीदी गई नई स्पीड बोट्स 35 समुद्री मील की गति तक पहुंच सकती हैं.


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