मुंबई: महाराष्ट्र में आज से प्लास्टिक के इस्तेमाल पर बैन लग गया है. महाराष्ट्र सरकार ने नागरिकों और प्लास्टिक निर्माताओं को प्लास्टिक नष्ट करने के लिए आज तक का समय दिया है. महाराष्ट्र सरकार के नियमों के मुताबिक, 24 जून से अगर कोई प्लास्टिक की थैलियों के साथ पकड़ा जाता है तो उस पर पांच हजार रुपए तक का जुर्माना लागाया जाएगा.


किस तरह की प्लास्टिक पर लगा बैन?


गौरतलब है कि प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए खतरा मानते हुए राज्य सरकार ने प्लास्टिक उत्पादों की बिक्री, इस्तेमाल, निर्माण और संग्रह पर रोक लगाई थी. सरकार इसे कड़ाई से लागू करने के लिए स्थानीय निकायों की मदद ले रही है. प्लास्टिक से बने कैरी बैग, ग्लास, चम्मच, प्लेट, तरल पदार्थ रखने वाले प्लास्टिक, प्लास्टिक पैकिंग मटेरियल, प्लास्टिक स्ट्रॉ, नॉन वोवन प्रोलीप्रोपेन बैग और पाउच आदि पर पाबंदी लगाई गई है.


किस तरह की प्लास्टिक को दी गई छूट?


दवाई की पैकिंग में उपयोग होने वाली प्लास्टिक, फ़ूड ग्रेड प्लास्टिक (दूध की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाला), कम्पोस्ट पैकिंग बैग (खेती और होट्रीकल्चर में उपयोग होने वाले बैग), एक्सपोर्ट होने वाले सामान की पैकिंग में लगने वाला प्लास्टिक आदि पर छूट दी गई.


कितना-कितना लगेगा जुर्माना


पहली बार पकड़े जाने पर पांच हजार, दूसरी बार में 10 हजार और तीसरी बार पकड़े जाने पर 25 हजार रुपये जुर्माना साथ ही तीन माह की जेल होगी.


पाबंदी लगाने में भेदभाव क्यों?


प्लास्टिक बंदी लागू करने के लिए कल बीएमसी की तरफ से प्लास्टिक के विकल्प के लिए प्रदर्शनी लगाई गई. इस कार्यक्रम में अजय देवगन और काजोल को बुलाकर प्लास्टिक बंदी के बारे में बताया गया. लेकिन जब प्लास्टिक बैन से जुड़ी जमीनी हकीकत के बारे में पूछा गया तो नेता और अधिकारी कन्नी काटते नजऱ आए.


पर्यावरण मंत्री रामदास कदम यह तो कह रहे कि प्लास्टिक के प्रोडक्शन पर महीने भर में रोक लगा देंगे, लेकिन जब पूछा गया कि इसे लागू करने में दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है तो वो सवाल से कन्नी काट गए. बता दें कि सरकार ने ब्रॉन्डेड समानों की प्लास्टिक पर रोक नहीं लगाई है.


क्या कंपनी की पॉलिथीन नहीं फैलाएगी प्रदूषण?


दरअसल महाराष्ट्र सरकार के आदेश में दुकानदारों को तो पॉलीथीन के इस्तेमाल से रोका गया है, लेकिन ब्रांडेड सामान में इस्तेमाल पॉलीथीन को मंजूरी दी गई है. लेकिन इस सवाल पर कोई बोलने को तैयार नहीं कि छोटे दुकानदार की पॉलीथीन अगर प्रदूषण फैलाएगी तो कंपनी की पॉलीथीन क्यों नहीं फैलाएगी.


मौजूदा स्टॉक का निपटाने लिए सरकार ने दिया था 3 महीने का वक्त


 बता दें कि राज्य सरकार ने इस साल मार्च में महाराष्ट्र प्लास्टिक और थर्मोकॉल उत्पाद  अधिसूचना जारी करने के बाद प्रतिबंध लागू किया था. सरकार ने निर्माताओं, वितरकों और उपभोक्ताओं को अपने मौजूदा स्टॉक का निपटान करने और प्लास्टिक की जगह कुछ और  विकल्प के लिए तीन महीने का समय दिया था.


पर्यावरणविदों ने मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत किया है. प्लास्टिक पर भारी निर्भरता और प्रतिबंधित उत्पादों के विकल्पों की कमी के साथ, कई लोग यह भी सोचते हैं कि योजना सफल होगी या नहीं.