केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करे ट्विटर, दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में मांग
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने फरवरी महीने में जो दिशा निर्देश जारी किए थे, उनका अब तक ट्विटर ने पालन नहीं किया है.अभी तक इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ऐक्ट की धारा 79 के तहत इन सोशल मीडिया कंपनियों को इंटरमीडियरी के नाते किसी भी तरह की जवाबदेही से छूट मिली हुई थी.
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नई दिल्ली: नए सोशल मीडिया नियमों को लेकर अब दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार और ट्विटर को निर्देश दिया जाए कि वह केंद्र की तरफ से सोशल मीडिया कंपनियों को जारी किए गए दिशा निर्देशों का जल्द से जल्द पालन करें और करवाएं. केंद्र सरकार ने फरवरी महीने में सोशल मीडिया प्लेटफार्म डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए थे.
ट्विटर ने नहीं किया केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों का पालन
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने फरवरी महीने में जो दिशा निर्देश जारी किए थे, उनका अब तक ट्विटर ने पालन नहीं किया है. इसके चलते अब तक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति तक नहीं की गई है और इस वजह से कई बार जो आपत्तिजनक ट्वीट या पोस्ट किए जाते हैं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाती.
दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी के दो ट्वीट्स का भी जिक्र किया गया है. याचिका में कहा गया है कि इन दोनों लोगों ने देश और देश की न्याय प्रणाली का अपमान करते हुए 2 ट्वीट किए, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई, क्योंकि ट्विटर के पास कोई शिकायत अधिकारी मौजूद नहीं था.
व्हाट्सएप ने भी हाई कोर्ट में दी चुनौती
अभी दो दिन पहले ही व्हाट्सएप में भी दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र सरकार के फरवरी में जारी किए गए दिशा-निर्देशों को चुनौती दी थी. व्हाट्सएप की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार के यह दिशा निर्देश व्हाट्सएप इस्तेमाल करने वाले लोगों की निजता का हनन है और एक तरह से यह व्हाट्सएप की एंड टू एंड इंक्रिप्शन की नीति के भी खिलाफ है.
नई सोशल मीडिया गाइडलाइन्स में क्या है?
बता दें कि इसी साल 25 फरवरी को केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देश में कहा गया था कि इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत में अपना ऑफिसर और कॉंटेक्स ऐड्रेस देना होगा. इसके साथ ही कंपलायंस अधिकारी की नियुक्ति करने के साथ ही शिकायत समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, कंप्लायंस रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री को हटाना होगा.
अभी तक इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ऐक्ट की धारा 79 के तहत इन सोशल मीडिया कंपनियों को इंटरमीडियरी के नाते किसी भी तरह की जवाबदेही से छूट मिली हुई थी. जिसका मतलब यह था कि इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अगर कोई आपत्तिजनक जानकारी भी आती थी, तब भी यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उसकी जिम्मेदारी लेने से बच सकते थे और इनके खिलाफ कोई कार्रवाई की नहीं हो सकती थी.
लेकिन सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों से साफ है कि अगर ये कंपनियां इन नियमों का पालन नहीं करती हैं तो उनका इंटरमीडियरी स्टेटस छिन सकता है और वे भारत के मौजूदा कानूनों के तहत आपराधिक कार्रवाई के दायरे में आ सकती हैं.
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