नई दिल्ली: वीडियो कांफ्रेंसिंग ऐप Zoom पर प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. याचिका में जूम के जरिए लोगों का डेटा लीक होने और साइबर अपराध में इस्तेमाल होने का खतरा बताया गया है. याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार से जांच के लिए कहे. साथ ही ऐप के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए.


याचिकाकर्ता हर्ष चुघ का कहना है कि जूम ऐप सुरक्षित नहीं है. इसमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन नहीं है. यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2009 का उल्लंघन कर रहा है.


ZOOM से 90 दिन में जुड़ गए 19 करोड़ यूजर
जूम एक अमेरिकी ऐप है. ये ऐप 2011 में शुरू हुआ. दिसंबर 2019 तक इसके 1 करोड़ यूजर थे. जबकि मार्च 2020 में यूजर बढ़कर 20 करोड़ हो गए. सिर्फ 90 दिनों में जूम ऐप से 19 करोड़ यूजर जुड़ गए. तीन महीने में 1900 गुना यूजर बढ़ गए. वर्तमान में जूम ऐप की वैल्यूएशन 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 3.2 लाख करोड़ रुपए है.


जूम को एरिक युआन नाम के शख्स ने बनाया है जो कि एक चीनी मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. इसमें एक बार में 1 से लेकर 100 तक लोग जुड़ सकते हैं. सबसे बड़ी बात की ऐप की सेवाएं बिल्कुल फ्री है.


चीन में है इसका सर्वर
जूम भले ही अमरेकी ऐप हो लेकिन इसका सर्वर चीन में है. जूम ने अमेरिकन कॉरपोरेट मंत्रालय को जो जानकारी दी उसके मुताबिक इस एप्लीकेशन के रिसर्च और डेवलपमेंट का काम चीन में 700 कर्मचारियों ने मिल कर किया. यानी दुनिया के 20 करोड़ लोग जो जूम का इस्तेमाल कर रहे हैं उनका सारा डेटा चीन के पास है.


दुनियाभर की खबरें चीन के पास पहुंच रही
एक्सपर्ट की माने तो दुनिया भर की जितनी सरकारें जूम पर अपनी कैबिनेट मीटिंग कर रही हैं उसकी पल-पल की खबर चीन को है. सुरक्षा और गोपनीयता के इस खतरे को भांपते हुए गृह मंत्रालय और साइबर सुरक्षा से जुड़ी देश की बड़ी संस्था सीईआरटी ने अप्रैल में एडवाइजरी जारी करके कहा था कि अमेरिका में ही इसके खिलाफ मुकदमा कर दिया गया है.


सिंगापुर, ताइवान और जर्मनी जैसे देश ZOOM ऐप पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल, स्पेस एक्स और स्मार्ट कम्युनिकेशन जैसी कंपनियों ने जूम ऐप का इस्तेमाल बंद कर दिया है.


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