कोच्चिः केरल हाईकोर्ट ने गुरूवार को कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों के कुछ लोग अमीर हैं, केवल इसलिए ही यह नहीं समझा जा सकता है कि उनकी समृद्धि उस समुदाय से संबंधित होने के कारण है. हाईकोर्ट ने कहा कि इसे देखते हुए यह नहीं माना जा सकता है कि अल्पसंख्यक समुदायों के सभी सदस्य आर्थिक और सामाजिक रूप से उन्नत हैं.


मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाले की पीठ ने उक्त टिप्पणियां एक याचिका को खारिज करने के दौरान कीं, जिसमें केंद्र को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वह इस बात का फिर से मूल्यांकन करे कि केरल में मुस्लिम और ईसाई समुदाय को अल्पसंख्यक माना जाए या नहीं?


यह याचिका ‘सिटिज़न एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेसी, इक्वैलिटी, ट्रैंगक्विलिटी एंड सेक्यूलरिज़म’ (CADETS) ने दायर की थी जिसमें दलील दी गई है कि केरल में अल्पसंख्यकों की सूची का पुन:निर्धारण करना चाहिए और ऐसा करने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को निर्देश देने की गुजारिश की गई थी.


संगठन ने दावा किया था कि केरल में मुस्लिम और ईसाई समुदायों ने सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है और इसलिए, उनकी अल्पसंख्यक स्थिति को फिर से निर्धारित करने की जरूरत है और उनके साथ तरजीह वाला बर्ताव नहीं किया जाना चाहिए.


इस याचिका का तहत आयोग को केरल में दो समुदायों की विकास प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की थी. जिस पर मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाले की पीठ ने कहा, "तथ्यों, परिस्थितियों और कानून को देखते हुए, हमें यह मानने में कोई हिचक नहीं है कि याचिकाकर्ता ने हस्तक्षेप के लिए कोई मामला नहीं बनाया है जैसा कि रिट याचिका में मांगा गया है."


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