नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी. साथ ही उन्होंने कहा कि देश की एकता को मजबूती प्रदान करने के लिए उन्होंने साहसिक प्रयास किए. वहीं, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की एकता व अखंडता के लिए उनका समर्पण और बलिदान देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा.
मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर मैं नमन करता हूं. वे एक सच्चे देशभक्त थे, जिन्होंने देश के विकास में अतुलनीय योगदान दिया.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि मुखर्जी ने देश की एकता को मजबूत करने के लिए साहसिक प्रयास किए. उन्होंने कहा, ‘‘उनके विचारों और आदर्शों से देश के लाखों लोगों को प्रेरणा मिलती है.’’
कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 के विरोधी थे मुखर्जी
जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष रहे मुखर्जी का जन्म आज ही के दिन वर्ष 1901 में कलकत्ता (अब कोलकाता)में हुआ था. जनसंघ का बाद में जनता पार्टी में विलय हो गया और फिर पार्टी के बिखराव के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ. हाल ही जम्मू और कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 के वे मुखर्जी विरोधी थे. मुखर्जी चाहते थे कि कश्मीर पूरी तरह से भारत का हिस्सा बने और वहां अन्य राज्यों की तरह समान क़ानून लागू हो.
देश की अखंडता के लिए मुखर्जी का बलिदान देशवासियों को सदैव प्रेरित करेगा: अमित शाह
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि देश की एकता व अखंडता के लिए उनका समर्पण और बलिदान देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा. शाह ने ट्वीट कर कहा, ‘‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के रूप में देश को एक ऐसा दूरदर्शी नेता मिला जिसने भारत की समस्याओं के मूल कारणों और उसके स्थायी समाधान पर जोर दिया और उनके लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष किया.’’
देश की एकता और बलिदान के लिए उनका योगदान सदैव प्रेरित करेगा
शाह ने कहा, ‘‘कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने और देश की एकता और अखंडता के लिए उनका समर्पण और बलिदान देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा.’’ उन्होंने कहा कि ‘‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’’ पर केन्द्रित जनसंघ और आज की भारतीय जनता पार्टी मुखर्जी की ही दूरदर्शिता का परिणाम है.
पूर्व बीजेपी अध्यक्ष ने शिक्षा और औद्योगिक क्षेत्र में सुधार के लिए मुखर्जी के प्रयासों को महती करार दिया और कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता और शोध कार्यों के भी वे बहुत बड़े पक्षधर थे.
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