नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कोविड-19 से लड़ने के लिए पीएम केयर्स फंड में मिली दान की राशि को राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) में स्थानांतरित करने का निर्देश देने से इनकार करते हुए मंगलवार को कहा कि दोनों कोष पूरी तरह से अलग अलग उद्देश्यों के लिए हैं.
न्यायालय के इस फैसले के बाद सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज हो गई. बीजेपी ने ताजा निर्णय को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘‘कुटिल मंसूबों’’ को तगड़ा झटका करार देते हुए दावा किया कि शीर्ष अदालत में इससे संबंधित याचिका के पीछे कांग्रेस नेता का ‘‘प्रायोजित षड्यंत्र’’ था. कांग्रेस ने इसे जनता के प्रति सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए झटका करार दिया.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनाये गये फैसले में कहा कि एनडीआरएफ के प्रशासन के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप कोविड-19 से संघर्ष में सहायता देने के लिए केन्द्र द्वारा एनडीआरएफ के इस्तेमाल पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है.
अदालत के फैसले के बाद बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने एक के बाद सिलसिलेवार ट्वीट कर राहुल गांधी पर हमला बोला तो केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पार्टी मुख्यालय में मोर्चा संभालते हुए प्रेस वार्ता में दावा किया कि पारदर्शी तरीके से पीएम केयर्स का सदुपयोग हो रहा है और इस कोष से निवेश हो रहा है.
नड्डा ने कहा, ‘‘पीएम केयर्स को लेकर उच्चतम न्यायालय का फैसला राहुल गांधी के कुटिल मंसूबों और उनके सहयोगियों की कोशिशों को तगड़ा झटका है. यह दर्शाता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों की दुर्भावना और द्वेषपूर्ण कोशिशों के बावजूद सत्य की चमक बरकरार रहती है.’’ उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के हल्ला मचाकर दोषारोपण करने की आदत को जनता ने लगातार नकारा है और उसी जनता ने पीएम केयर्स कोष में दिल खोलकर दान किया है.
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘अब तो उच्चतम न्यायालय ने भी अपना फैसला सुना दिया है. क्या राहुल गांधी और तथाकथित कार्यकर्ताओं की उनकी टोली अब भी अपने तौर तरीकों में सुधार करेगी या आगे भी यूं ही शर्मिंदा होती रहेगी.’’
राहुल गांधी ने सोमवार को पीएम-केयर्स फंड को लेकर छपी एक खबर को साझा करते हुए ट्वीट किया था ‘‘पीएमकेयर्स फॉर राइट टू इम्प्रोबिटी (प्रधानमंत्री बेईमानों के अधिकारों की चिंता करते हैं.)’’
नड्डा ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष को दशकों से व्यक्तिगत जागीर के रूप में संचालित किया और नागरिकों के श्रम से अर्जित धन, जो आपदा के समय देश के अन्य नागरिकों की मदद के लिए दिया गया था, को अपने परिवार के न्यासों को स्थानांतरित कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘देश बहुत अच्छी तरह से जानता है कि पीएम केयर्स फंड के खिलाफ झूठा अभियान कांग्रेस द्वारा अपने पापों को धोने का एक प्रयास है.’’
कांग्रेस ने सर्वोच्च अदालत के फैसले पर कहा कि ‘पीएम केयर्स’ कोष के बारे में आया उच्चतम न्यायालय का फैसला जनता के प्रति सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए झटका है.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए झटका है. यह शासकों की मतदाताओं के प्रति जिम्मेदारी एवं जवाबदेही के संदर्भ में एक दुखद दिन है.’’
पार्टी मुख्यालय में वरिष्ठ बीजेपी नेता प्रसाद ने राहुल गांधी पर कोरोना के खिलाफ देश की एकता को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि पीएम केयर्स कोष संबंधी याचिका को खारिज कर उच्चतम न्यायालय ने एक ‘‘प्रायोजित षड्यंत्र’’ को निरस्त किया है. उन्होंने कहा, ‘‘आज जब पीएम केयर्स फंड पर यह फैसला आया है तो उनके (राहुल) द्वारा प्रायोजित षड्यंत्र को उच्चतम न्यायालय ने निरस्त किया है.’’ उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड और प्रधानमंत्री राहत कोष में बहुत अंतर है. पीएम केयर्स कोष एक पंजीकृत पब्लिक ट्रस्ट है जिसके अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री हैं.
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘पीएम केयर्स फंड कहीं अधिक पारदर्शी है. यह कोरोना जैसी आपात स्थिति के लिए बनाया गया है.इसमें देश के नागरिक स्वेच्छा से योगदान कर सकते हैं. जबकि पीएम राहत कोष के मामले में ऐसा नहीं है. पीएम राहत कोष 1948 में पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों और राष्ट्रीय आपदा के समय मदद के लिए बनाया गया था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज उच्चतम न्यायालय ने भी इस पर मुहर लगाई है.’’
प्रसाद ने बताया कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पीएम केयर्स कोष से अब तक 3100 करोड़ रुपए दिए गए हैं. इसमें दो हजार करोड़ रूपये सिर्फ वेंटिलेटर के लिए दिए गए हैं. उन्होंने बताया, ‘‘50,000 वेंटिलेटर, पीएम केयर्स फंड के द्वारा दिए गए पैसे से उपलब्ध कराए गए हैं. लगभग 1000 करोड़ राज्यों को दिए गए हैं, प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था करने के लिए. लगभग 100 करोड़ दिए गए हैं कोरोना के खिलाफ वैक्सीन के अनुसंधान में मदद करने के लिए. 3100 करोड़ की बड़ी राशि कोरोना से लड़ाई के लिए दी गई है.’’
न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा, ‘‘आवश्यकता की इस घड़ी में आपात स्थिति में आवश्यक वित्तीय संसाधनों के लिए पीएम केयर्स फण्ड के नाम से सार्वजनिक परमार्थ न्यास के गठन पर कोई आपत्ति नहीं की जा सकती.’’
सर्वोच्च न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस के इस कथन को भी अस्वीकार कर दिया कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए कोई पर्याप्त योजना नहीं है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून, 2005 की धारा 46 (1)(ख) के अनुसार राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष में किसी भी व्यक्ति या संस्थान द्वारा योगदान करने पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है. उसने कहा कि पीएम केयर्स फण्ड में किसी व्यक्ति या संस्थान द्वारा योगदान स्वैच्छिक है और कोई भी व्यक्ति या संस्थान इसमें स्वेच्छा से योगदान कर सकता है.
न्यायालय ने कहा, ‘‘पीएम केयर्स फण्ड में एकत्र धन पूरी तरह से एक अलग कोष है जो एक परामार्थ न्यास का कोष है और इस कोष को एनडीआरएफ में हस्तांतरित करने का निर्देश देने की कोई वजह नहीं है. पीएम केयर्स फंड में मिला सारा धन एनडीआरएफ में हस्तांतरित करने का निर्देश देने का याचिकाकर्ता का अनुरोध अस्वीकार किया जाता है.’’
न्यायालय ने कहा कि जब केन्द्र सरकार कोविड-19 पर काबू पाने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता दे रही है तो कोई भी जनहित याचिकाकर्ता यह नहीं कह सकता कि केन्द्र को इस कोष से या उस कोष से धन देना चाहिए.
इस गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस ने जनहित याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया था कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए पीएम केयर्स कोष में जमा राशि एनडीआरएफ में स्थानांतरित करने का निर्देश केन्द्र को दिया जाये.
शीर्ष अदालत ने कहा कि केन्द्र द्वारा तैयार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना मे सुव्यवस्थिति और सुनियोजित तरीके से जैविक और जनस्वास्थ्य की आपात स्थितियों के सभी पहलुओं को शामिल किया है और इसलिए कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए अलग से किसी योजना की आवश्यकता नहीं है.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट किया, ‘‘झूठ पर टिकी उनकी दुनिया ज़्यादा दिन चलती नहीं, कितना भी पकड़ लो, कुछ लोगों की आदत बदलती नहीं.’’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने ट्वीट किया, ‘‘पीएम केयर्स पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से 'अलीबाबा और 40 चोर' की आंखें खुल जानी चाहिए, जो सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए बगैर पढ़े सवाल करते हैं.’’
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने 28 मार्च को आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत (पीएम केयर्स) कोष की स्थापना की थी, जिसका प्राथमिक उद्देश्य कोविड-19 की वजह से उत्पन्न मौजूदा परिस्थिति से निपटना और प्रभावितों को राहत पहुंचाना था. इस कोष के प्रधानमंत्री पदेन अध्यक्ष बनाए गए हैं और रक्षामंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री पदेन न्यासी हैं.
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