नई दिल्ली: पीएम मोदी ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय विश्वविद्यालय संघ की 95वीं वार्षिक बैठक और वायस चांसलर्स के राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित किया. पीएम मोदी ने डॉ भीमराव अंबेडकर पर किशोर मकवाने द्वारा लिखित पुस्तकों का विमेचन भी किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भीमराव अंबेडकर के विचारों का याद किया है.


वायस चांसलर्स के राष्ट्रीय सेमिनार में पीएम मोदी ने कहा, "देश बाबा साहेब अंबेडकर के कदमों पर चलते हुए तेजी से गरीब, वंचित, शोषित, पीड़ित सभी के जीवन में बदलाव ला रहा है. बाबा साहेब ने समान अवसरों की बात की थी, समान अधिकारों की बात की थी. आज देश जनधन खातों के जरिए हर व्यक्ति का आर्थिक समावेश कर रहा है."


पीएम मोदी ने कहा, "आजादी की लड़ाई में हमारे लाखों-करोड़ों स्वाधीनता सेनानियों ने समरस, समावेशी भारत का सपना देखा था. उन सपनों को पूरा करने की शुरुआत बाबासाहेब ने देश को संविधान देकर की थी. बाबा साहेब के जीवन संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भी आज देश काम कर रहा है. बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है."


"स्टूडेंट्स और टीचर्स के सामने तीन सवाल"
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बताया है कि हर छात्र का अपना एक सामर्थ्य होता है, क्षमता होती है. इन्हीं क्षमताओं के आधार पर स्टूडेंट्स और टीचर्स के सामने तीन सवाल भी होते हैं. पीएम मोदी ने बताया, "पहला- वो क्या कर सकते हैं? दूसरा- अगर उन्हें सिखाया जाए, तो वो क्या कर सकते हैं? और तीसरा- वो क्या करना चाहते हैं."


इस दौरान पीएम मोदी ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, "डॉ. राधाकृष्णन जी ने शिक्षा के जिन उद्देश्यों की बात की थी, वो ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में दिखते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति जितनी व्यावहारिक है, उतना ही व्यावहारिक इसे लागू करना भी है."



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