नई दिल्ली: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री ने आज राज्यसभा में जवाब दिया. प्रधानमंत्री नोटबंदी से लेकर सरकार की कई योजनाओं पर अपनी बात रखी. प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट भी किया.
यहां पढें राज्यसभा में प्रधानमंत्री के भाषण की 20 बड़ी बातें
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ लड़ाई किसी राजनीतिक दल को परेशान करने के लिए नहीं है. सदन का दायित्व बनता है हमें इसके लिए जो जरूरी हो वो करना चाहिए. कालेधन और भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा नुकसान गरीब और मध्यम वर्ग का हुआ है. इसके लिए प्रयास करना चाहिए. ऐसा नहीं है कि पहले प्रयास नहीं हुए. पहले जो प्रयास हुए उन्हें आगे ले जाना है.
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''जाली नोट इस व्यवस्था से चलते हैं कि वो बैंक के दरवाजे पर ना पहुंचे. इसका इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए भी होता है. कुछ लोग कह रहे हैं कि आतंकवादियों के पास से नए नोट मिले. नोटबंदी के दौरान बैंक लूटने की घटना जम्मू-कश्मीर में हुई. इसी घटना के बाद आतंकियों के पास से नकली नोट बरामद हुए. इसका बस ये सीधा सा कराण है. ईमानदार व्यक्ति को ताकत तब तक नहीं मिलेगी जब तक बेईमान को सजा नहीं मिलेगी.''
- प्रधानमंत्री ने गोडबोले की किताब के हवाले से कहा, ''इंदिरा जी के समय वान्चू कमेटी ने नोटबंदी का सुझाव दिया था लेकिन उन्होंने कहा कि हमें चुनाव लड़ने होते हैं. जब वान्चू कमेटी ने सुझाव दिया था तब समस्याएं कम थीं लेकिन आज ये समस्याएं बहुत बढ़ गईं हैं.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''नोटबंदी के एलान के साथ ही जाली नोट की समस्या खत्म हो गई थी. एक टीवी रिपोर्ट में दिखाया गया कि दुश्मन देश में जाली नोट के कारोबार करने वाले खए शख्स ने आत्महत्या कर ली. नोटबंदी के बाद कई नक्सलियों ने आत्म समर्पण भी किया है.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''बैंक के पास इतनी बड़ी मात्रा में धन आने से बैंकों को लाभ हुआ है. एक साथ कई बैंकों ने ब्याजदरें घटाई हैं. बैंक के पास धन आने से बैंक मजबूत हुए हैं.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''नोटबंदी के बाद कई बार विदेशी अखबारों और लेखों को कोट किया गया. ये कभी खत्म नहीं होने वाला है. आप दस लेख पेश करेंगे तो मैं बीस कर सकता हूं. दरअसल दुनिया में इतना बड़ा फैसला कभी हुआ ही नहीं है. दुनिया के अर्थ विशेषज्ञों के पास इसकों मापने का पैमाना ही नहीं है. ये दुनिया भर के लिए एक बड़ी केस स्टडी हो सकती है.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, "'आम तौर पर सरकार जब कोई फैसला करती है तो सरकार और जनता आमने-सामने होती है. ये पहली बार हुआ है कि जनता सरकार के साथ ही बस कुछ लोग विरोध में थे. विश्व के सामने हम गर्व के साथ कह सकत हैं ये देश अपने भीरत की बुराइयों से बाहर निकलने के लिए तड़प रहा है. नोटबंदी पर जनता का मिजाज दूसरा है और नेताओं का दूसरा है.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''मनमोहन सिंह जी की किताब मैंने पढ़ी मुझे लगा था कि शायद उन्होंने लिखी है. लेकिन पढ़ने पर पता चला कि उन्होंने सिर्फ किताब का 'फॉर्वड' लिखा है. ऐसा मुझे तब लगा जब उन्होंने भाषण दिया. हिंदुस्तान के 70 साल के इतिहास में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसका अर्थ व्यवस्था पर आधे समय तक दबदबा रहा हो. हमें उनसे सीखना चाहिए कि इतने घोटावे हुए उनके ऊपर एक दाग तक नहीं आया. मनमोहन सिंह से लोगों को सीखना चाहिए कि रेनकोट पहनकर कोई बाथरूम में कैसे नहा सकता है.''
- प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान राज्यसभा में जोरदार हंगामा भी हुआ. विपक्ष ने प्रधानमंत्री पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अपमान का आरोप लगाया. इस बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए हिटलर और मुर्सलोनी जैसे शब्द भी प्रयोग किए गए. जोरदार हंगामे के बाद कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया.
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''पराजय स्वीकार ही नहीं हो रही है, ये कब तक चलेगा? ये बात सही है कि सामान्य जन को आंदोलित करने के कई प्रयास हुए. देश में छोटी छोटी घटनाओं पर भी गाड़ियां जला दी जाती हैं लेकिन नोटबंदी के दौरान इतनी तकलीफों बावजूद ऐसी कोई घटना नहीं हुई.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''हमें पूरी उम्मीद थी कि विचारधारा अलग होने के बावजूद हमारा साथ देंगे. लेफ्ट के नेता ज्योति बसु ने वान्चू कमेटी की रिपोर्ट को पेश किया. उन्होने सदन में कहा था कि श्रीमति इंदिरा गांधी की राजनीति कालेधन पर ही टिकी है. इसीलिए ना सिर्फ इस बिल को पेश किया गया बल्कि डेढ़ साल तक दबाकर भी रखा गया. इसलिए लेफ्ट से मेरा आग्रह है कि आप हमारा साथ दीजिए. मुझे उम्मीद है कि साथ मिलेगा. लोकतांत्रिक व्यवस्था में इतना बड़ा फैसला कभी लिया नहीं गया इसलिए ऐसे फैसले को समझने में भी समय लगता है. ''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''विपक्ष की तरफ से कई बार कहा गया कि देश में ये नहीं, वो नहीं है. जब विपक्ष ये कहता है तो मुझे लगता है कि वो अपना रिपोर्ट कार्ड दे रहे हैं. देश के 70 साल के इतिहास में मेरा योगदान सिर्फ ढ़ाईसाल का है.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''जब देश में बैलेट पेपर से ईवीएम मशीन से वोट डालने की बात आयी तो क्या किसी ने सोचा था कि ये हो जाएगा. हमें परेशानी होगी लेकिन हम रास्ता ही छोड़ दें ये गलत है. रेल टिकट से लेकर बिजली के बिल भरने तक सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है. दुनिया कैशलेश की तरफ जा रही है हमें भी इसी तरफ बढ़ना होगा.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए करोड़ों रुपये का लीकेज बचाया. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से पहले किसी बेटी पैदा होने से पहले ही विधवा हो जाती थी और उसकी पेंशन भी बनने लगती थी. ये सब बिचौलियों के कारण होता था.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''भीम एक भारत सरकार के नेतृत्व में शानदार व्यवस्था बनी है. हमें इसे लोकप्रिय बनाना चाहिए. इसके लोकप्रिय होने के बाद हमें बाहर की किसी एजेंसी की जरूरत नहीं पड़ेगी.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझ पर हमला, सरकार पर हमला कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन रिजर्ब बैंक और उसके गवर्नर को इन के बीच लाना अच्छी बात नहीं है. जो लोग रिजर्ब बैंक गरिमा पर सवाल उठाते हैं उन्हें बताना चाहता हूं कि पूर्व आरबीआई गवर्नर सुब्बराव ने अपनी किताब में लिखा कि
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैंने लालकिले से भी कहा है कि पहले की सरकारों ने भी काम किया. लेकिन हमारी सरकार ने गवर्नेंस को बढ़ावा देने का काम किया है. पहले लोग सर्टिफिकेट को अटेटस्ट करवाने के लिए अफसरों के घर के आगे लाइन लगाते थे. हमने सेल्फ अटेस्ट की व्यवस्था की. हमने नॉन गैजेडेट नौकरियों में इंटरव्यू खत्मन किया. हमने पासपोर्ट की प्रक्रिया को सरल बनाया. अब पोस्ट ऑफिस को भी पासपोर्ट ऑफिस बनाने की दिशा में काम चल रहा है.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''सरकार के प्रोक्योरमेंट प्रोसेस में पारदर्शिता लाने में हमने बड़ी सफलता पाई है. हमारी सरकार ने गवर्नेंस के मुद्दे पर काफ़ी काम किया जिससे सामान्य मानविकी को ताकत मिली.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''गावों में महिलाओं को शौच जाने के लिए अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता था. हमारी पहल के बाद ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता पर काम बढ़ा है.''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''जो लोग आरबीआई को लेकर बात करते हैं उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि पूर्व आरबीआई गवर्नर सुब्बाराव ने अपनी किताब 'Who Moved My Interest Rate' में लिखा है कि 2008 में तत्कालीन वित्त सचिव के तहत लिक्विडिटी मैनेजमेंट कमेटी नियुक्त करने से मैं परेशान था. चिदंबरम ने भारतीय बैंक के विषय में ओवरस्टेप किया था. लिक्विडिटी मैनेजमेंट पूरी तरह से आरबीआई का विषय है. उन्होंने न सिर्फ ओवरस्टेप किया, बल्कि मुझे बताया ही नहीं. मुझे नहीं पता था कि यह मेरे और उनके बीच मेरे आखिरी दिनों में संबंध असहज करने की टोन सेट करेगा.''