नई दिल्ली: साल 2014 से बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीत का जो सफर शुरू हुआ वो थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. एक के बाद एक राज्य में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने अपनी जीत का डंका बजाया है. चाहे आतंकवाद से जूझता कश्मीर हो या फिर पिछले 25 साल से सत्ता में रही त्रिपुरा की लेफ्ट सरकार, मोदी की लहर ने हर एक किले को ढहा दिया. नरेन्द्र मोदी का विजय रथ अभी तक विपक्ष के लिए एक चुनौती बना हुआ है. मोदी की ही अगुवाई में बीजेपी कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बन के उभरी है. हालांकि अभी बीजेपी बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर है.


नरेन्द्र मोदी ने 240 दिनों में 437 रैली कर के एक नया कीर्तिमान खड़ा किया है. पीएम उम्मीदवार बनने के बाद 15 सिंतबर 2013 को रेवाड़ी से जो रैली का सिलसिला शुरु हुआ तो वह लोकसभा चुनाव में जीत के बाद दिल्ली में 26 मई को आखिरी रैली के साथ ही समाप्त हुआ. सत्ता में आने के बाद हर राज्य के चुनाव में मोदी कुछ इस रैलियां करते थे जैसे वही सीएम पद के उम्मीदवार हों.


नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में 5, असम में 15, झारखंड में 14, हरियाणा में 11, पश्चिम बंगाल में 10, कर्नाटक में 21 रैली, गुजरात में 34 रैली, उत्तर प्रदेश में 24, बिहार में 31 रैली, महाराष्ट्र में 27 रैली, जम्मू-कश्मीर में 06, तमिलनाडु में 04, पश्चिम बंगाल में 10, केरल में 03, पुड्डुचेरी में 01, पंजाब में 04, गोवा में 03, मणिपुर में 03, उत्तराखंड में 04, हिमाचल में 07 और त्रिपुरा में 2 रैलियां की.


पीएम मोदी को सत्ता में आए कुल 1450 दिन हुए हैं और उन्होंने कुल 249 रैलियां की है. इस हिसाब से हर छह दिन में उन्होंने एक रैली की. हालांकि, इस दौरान बिहार, पंजाब, दिल्ली में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि मोदी की रैलियों को लेकर कई बार आलोचना भी हुई है. विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री ज्यादातर प्रचार में व्यस्त में रहते हैं.