नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'आंदोलनजीवी' शब्द के इस्तेमाल पर संयुक्त किसान मोर्चा ने आपत्ति जताई है. मोर्चा की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के किए गए अपमान की निंदा करता है. किसान प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आन्दोलनजीवी ही थे जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है. यह बीजेपी और उसके पूर्वज ही है जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया. वे हमेशा जन आंदोलनों के खिलाफ थे इसलिए वे अभी भी जन आंदोलनों से डरते हैं.


बयान में कहा गया है कि अगर सरकार अब भी किसानों की मांगों को स्वीकार करती है, तो किसान वापस जाकर पूरी मेहनत से खेती करने के लिए अधिक खुश होंगे. यह सरकार का अड़ियल रवैया है जिसके कारण ये आंदोलन लंबा हो रहा है जो कि आंदोलनजीवी पैदा कर रहा है. एमएसपी पर खाली बयानों से किसानों को किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा और अतीत में भी इस तरह के अर्थहीन बयान दिए गए थे. किसानों को वास्तविकता में और समान रूप से टिकाऊ तरीके से तभी लाभ होगा जब सभी फसलों के लिए एमएसपी को ख़रीद समेत कानूनी गारंटी दी जाती है.


संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में किसान महापंचायतों द्वारा दिए गए विशाल समर्थन से दिल्ली के धरनों पर बैठे किसानों में उत्साह बढ़ा है. आने वाले दिनों में इन महापंचायतो से किसान दिल्ली धरनों में शामिल होंगे.


कांग्रेस ने कहा- ये किसानों का अपमान


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के मंत्री अशोक चव्हाण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘आंदोलनजीवी’ शब्द के इस्तेमाल को किसानों का अपमान करार दिया है. लोक निर्माण विभाग मंत्री चव्हाण ने ट्वीट किया, ‘‘ मानवता को जिंदा रखने में किसान महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. किसानों के प्रदर्शन के लिए हास्यास्पद तरीके से ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का इस्तेमाल करना किसानों का अपमान है. यह उनका अनादर हैं. इस तरह के शब्द का इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है.’’


पीएम मोदी ने क्या कहा था?


राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब के दौरान पीएम मोदी ने इस शब्द का इस्तेमाल किया. प्रधानमंत्री ने कृषि सुधारों पर ‘यू-टर्न’ लेने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा कि पिछले कुछ समय से इस देश में ‘आंदोलनजीवियों’ की एक नई जमात पैदा हुई है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती.


प्रधानमंत्री मोदी से न्यौते के बाद आंदोलनकारी किसान नेताओं ने कहा- हम बातचीत को हैं तैयार, तारीख बताए सरकार