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PM Modi ने किसानों को दिए प्राकृतिक खेती के मंत्र, कहा- किसानों को मिलने चाहिए उनकी पसंद के विकल्प
Natural Farming: पीएम मोदी का कहना है कि केमिकल और फर्टिलाइज़र ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया लेकिन हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा.
PM Modi Address to Farmers: पीएम मोदी (Narendra Modi) ने आज गुजरात के आणंद में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान किसानों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'कॉन्क्लेव ऑन नेचुरल फार्मिंग' सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ये कॉन्क्लेव गुजरात में जरूर हो रहा है लेकिन इसका दायरा, इसका प्रभाव पूरे भारत के लिए है. भारत के हर किसान के लिए है.
PM Modi के संबोधन की बड़ी बातें
- कृषि सेक्टर, खेती-किसानी के लिए आज का दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण है. मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरूर जुड़ें. आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं.
- आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सब हम सबने बहुत बारीकी से देखा है. अब आजादी के 100वें साल तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है.
- बीज से लेकर बाजार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं. मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा MSP तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, अनेक कदम उठाए हैं.
- खेती के साथ साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन और सौर ऊर्जा, बायो फ्यूल जैसे आय के अनेक वैकल्पिक साधनों से किसानों को निरंतर जोड़ा जा रहा है. गांवों में भंडारण, कोल्ड चैन और फूड प्रोसेसिंग को बल देने के लिए लाखों करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
- खेती में उपयोग होने वाले कीटनाशक और केमिकल फर्टिलाइजर हमें बड़ी मात्रा में इंपोर्ट करना पड़ता है. इस वजह से खेती की लागत बढ़ती है, खर्च बढ़ता है और गरीब की रसोई भी महंगी होती है.
- ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा. हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा. प्रकृति की प्रयोगशाला तो पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है.
- बीज से लेकर मिट्टी तक सबका इलाज आप प्राकृतिक तरीके से कर सकते हैं. प्राकृतिक खेती खेती में न तो खाद पर खर्च करना है और ना ही कीटनाशक पर. इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है और बाढ़-सूखे से निपटने में ये सक्षम होती है.
- आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही ‘back to basic’ की ओर बढ़ रही है. इस Back to basic का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना! इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है.
- कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब में तराशने की भी जरूरत है. इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में डालना होगा.
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