PM Modi Remark on Short Cut Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 'शॉर्टकट की राजनीति' करने को लेकर एक बार फिर से अपने विरोधियों को घेरा है. पीएम मोदी ने रविवार (11 दिसंबर) को विरोधी पार्टियों पर संकीर्ण राजनीतिक फायदे (Narrow Political Gains) के लिए टैक्स के पैसों की बर्बादी का आरोप लगाया.


उन्होंने कहा कि कुछ सियासी फायदे के लिए काम कर रहे ऐसे दल टैक्स पेयर के लिए सबसे बड़े दुश्मन हैं, जो भी राजनीतिक दल शॉर्टकट की रणनीति अपना रहे हैं वो करदाताओं का भला नहीं कर रहे हैं. पीएम मोदी ने विरोधियों पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ सियासी दलों का एकमात्र मकसद सत्ता में आना है, वो कभी भी राष्ट्र के निर्माण में योगदान नहीं कर सकते हैं.


क्या कहा पीएम मोदी ने?


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ''जो सियासी दल सत्ता हथियाने के लिए शॉर्टकट की रणनीति अपना रहे हैं, वो कभी भी देश के लोगों का भला नहीं कर सकते हैं. सत्ता हथियाने के लिए वो सिर्फ झूठे वादे करते हैं. ऐसे समय में जब देश अगले 25 वर्षों में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है, कुछ राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने पर उतारू हैं.'' उन्होंने रविवार को नागपुर और विदर्भ के लिए 11 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए ये बातें कहीं. पीएम मोदी के इस बयान को मुफ्तखोरी या 'रेवड़ी कल्चर' पर बहस के संदर्भ में देखा जा रहा है.


'वोट बैंक की राजनीति के लिए पैसे का इस्तेमाल'


गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पुरानी पेंशन की वापसी का वादा किया था. मुफ्त बिजली की भी बात कही गई थी. बुनियादी ढांचे के निर्माण में दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के निवेश का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने टैक्स पेयर के पैसे बर्बाद करने के लिए भारत में पहले के शासन को गलत करार दिया. उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों के कार्यकाल में ईमानदार करदाताओं से वसूला गया टैक्स या तो भ्रष्टाचार के कारण बर्बाद हो जाता था या वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जाता था.


'पैसे का सही इस्तेमाल वक्त की मांग'


पीएम मोदी ने आगे कहा कि युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए पैसे का सही इस्तेमाल करना वक्त की मांग है. उन्होंने युवाओं और टैक्स चुकाने वाले लोगों से अपील करते हुए कहा कि वो ऐसे स्वार्थी नेताओं और राजनीतिक दलों को बेनकाब करें. उन्होंने कहा, ''आमदानी अठन्नी, खर्चा रुपैया' के दृष्टिकोण का पालन करने वाली राजनीतिक दलों की घटिया नीतियां देश की अर्थव्यवस्था (Economy) को खोखला कर देती हैं. हमने देखा है कि कैसे इस तरह के दृष्टिकोण की वजह से कुछ देशों की अर्थव्यवस्थाएं खत्म हो गईं. हमें इस तरह के दिशाहीन दृष्टिकोण से भारत को बचाने की जरूरत है.''


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