PM Modi Cabinet Meeting Decision: अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के आरक्षण को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया. इस बाबत जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार (09 अगस्त) को कहा कि भीम राव आंबेडकर के दिए संविधान में में ‘मलाईदार तबके’ (क्रीमी लेयर) के लिए कोई प्रावधान नहीं है.


अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के लिए गए निर्णयों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया फैसले पर विस्तृत चर्चा हुई जिसमें एससी और एसटी के लिए आरक्षण के संबंध में कुछ सुझाव दिए गए थे. ‘क्रीमी लेयर’ का मतलब एससी और एसटी समुदायों के उन लोगों और परिवारों से है जो उच्च आय वर्ग में आते हैं. 


अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा?


उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का यह सुविचारित मत है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है. वैष्णव ने कहा, ‘‘बी आर आंबेडकर के दिए संविधान के अनुसार, एससी-एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ के लिए कोई प्रावधान नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुरूप होना चाहिए.


यह पूछे जाने पर कि क्या यह मुद्दा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री या प्रधानमंत्री की ओर से उठाया गया था तो वैष्णव ने कहा कि यह मंत्रिमंडल का सुविचारित दृष्टिकोण है.


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?


सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 1 अगस्त को फैसला सुनाया कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भीतर क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिए और उन्हें कोटा लाभों से बाहर रखना चाहिए. अदालत ने एससी और एसटी आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति देते हुए बहुमत से फैसला सुनाया, ईवी चिन्नैया मामले में अपने पहले के आदेश को पलट दिया, जिसमें एससी और एसटी को 'सजातीय वर्ग' माना जाने के कारण इस तरह के उप-वर्गीकरण को अस्वीकार्य माना गया था.


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