बड़ी बातें: नए मंत्रिमंडल में नजर आएगा 'मिनी इंडिया', पिछड़ी जातियों, अनुभव, पेशे और राज्यों का रखा गया ख्याल
मोदी सरकार के इस फेरबदल से मंत्री परिषद में मिनी इंडिया के दर्शन तो हो ही रहे हैं. इसके साथ ही पिछली जातियों और राज्यों के प्रतिनिधित्व का भी ध्यान रखा गया है.
नई दिल्ली: मोदी सरकार की दूसरी पारी में पहले मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सस्पेंस धीरे धीरे खत्म हो रहा है. शाम छह बजे शपथग्रहण समारोह होना है। जो नए मंत्री बनने वाले हैं वो शपथ से पहले प्रधानमंत्री से मुलाकात करने पहुंचे। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों का प्रमोशन भी होना है. उन्हें भी प्रधानमंत्री ने चर्चा के लिए बुलाया.
इस विस्तार के बाद मोदी मंत्रिमंडल में 12 अनुसूचित जाति के मंत्री होगे. इनमें से 8 कैबिनेट मंत्री होगे और देश के 8 राज्यों से होगे. इनमें लगभग सभी अनुसूचित जातियों को प्रतिनिधित्व है. 8 अनुसूचित जनजाति के मंत्री होगे इनमें से 3 केबिनेट मंत्री होगे. पिछड़े वर्ग से 27 मंत्री मोदी मंत्रिमंडल में होगे , इनमें 5 केबिनेट मंत्री होगे. 5 अल्पसंख्यक मंत्री हो जाएँगे, इनमें 1 मुस्लिम, 1 सिख, 1 बौद्ध, 1 ईसाई और एक 1 जैन शामिल हैं.
29 अलग -अलग जातियों को मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी गयी है. 11 महिला मंत्री हैं, दो केबिनेट मंत्री है, नौ महिला राज्य मंत्री हैं. मंत्रिमंडल की औसत आयु 58 वर्ष है, 14 मंत्री 50 साल के काम उम्र के मंत्री हैं। इनमें से 6 केबिनेट मंत्री हैं.
मंत्रिमंडल में अनुभव का भी ध्यान रखा गया है. 46 मंत्री ऐसे हैं जिन्हें पहले भी मंत्री रहने का अनुभव है। इनमें से 23 मंत्री पहले तीन बार मंत्री रह चुके हैं, 4 पूर्व मुख्य मंत्री हैं, 18 ऐसे मंत्री है जो राज्यों में मंत्री पद पर रह चुके हैं, 35 पूर्व विधायक हैं.
मंत्रिमंडल में प्रोफेशनलिज्म को भी प्राथमिकता दी गई है. 13 मंत्री पेशे से वकील हैं, 6 मंत्री पेशे से डॉक्टर हैं, 5 मंत्री पेशे से इंजीनियर हैं और 7 मंत्री ब्यूरोक्रेट रह चुके हैं.
मोदी मंत्री परिषद में देश के अलग अलग 25 राज्यों को प्रतिनिधित्व दिया गया है. मोदी मंत्री परिषद में उत्तर प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र/हरित प्रदेश, ब्रज क्षेत्र, बुंदेल खंड, अवध, पूर्वांचल को प्रतिनिधित्व दिया गया है.
महाराष्ट्र के कोंकण, खानदेश, मराठ वाड़ा, विदर्भ को प्रतिनिधित्व दिया गया है. कर्नाटक के मसूर कर्नाटक क्षेत्र, बॉम्बे कर्नाटक, कोस्टल कर्नाटक को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है.
गुजरात के उत्तर गुजरात, मध्य गुजरात और सौराष्ट्र को प्रतिनिधित्व दिया गया है. पश्चिम बंगाल के जल पाईगुडी, मेदिनीपुर, प्रसेडेंसी इलाक़े को मंत्रिमंडल में जगह दीं गयी है जबकि पाँच मंत्री पूर्वोत्तर के राज्यों से हैं.
मतलब साफ़ है कि मोदी सरकार के इस फेरबदल से मंत्री परिषद में मिनी इंडिया के दर्शन तो हो ही रहे हैं उसके साथ साथ जो संदेश देने की कोशिश है वो है, अनुसूचित, पिछड़े, शोषित, पीड़ित वर्ग की सरकार, इसके ज़रिए मोदी हर इस आवाज़ और जनाकांक्षा का विस्तार कर रहे हैं जिन्हें दबा कुचला समझा जाता रहा है.
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