पीएम मोदी का 2013 Vs 2018, चार साल में वो किया जो करने में 100 साल भी कम पड़ जाते
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम 2013 की गति से काम करते तो इन चार सालों में जो कुछ हमने कर दिखाया है वो करने में हमें दशकों से ज्यादा का वक्त लग जाता.
नई दिल्ली: आज़ादी की 72वीं सालिगरह के मौके पर अपने चार साल का हिसाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने काम-काज की तुलना साल 2013 से की. यूपीए ।। सरकार के आखिरी साल से तुलना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम 2013 की गति से काम करते तो इन चार सालों में जो कुछ हमने कर दिखाया है वो करने में हमें दशकों से ज्यादा का वक्त लग जाता. शौचालय, बिजली और गैस कनेक्शन जैसी आधारभूत सुविधाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के विकास का प्रमाण जनता को दिखाया.
2013 Vs 2018 आज 82 मिनट के देश के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने लगभग छह मिनट तक मौजूदा सरकार में विकास की गति को बताने के लिए 2013 से 2018 की तुलना की. प्रधानमंत्री ने कहा, '' हम आगे जा रहे हैं इसका पता तबतक नहीं चलता है जब तक हम कहां से चले थे उस पर नजर ना डाले. कहां से चले थे अगर उस की ओर नहीं देखेंगे तो कहां गए हैं कितना गए हैं इसका अंदाज़ नहीं आएगा. इसलिए हमारा देश जिस रफ्तार से चल रहा था, जीवन के हर क्षेत्र में 2013 की रफ्तार थी. उस 2013 की रफ्तार को हम अगर आधार मानकर सोचें और पिछले चार सालों में जो काम हुए हैं उन कामों का अगर लेखा-जोखा लें तो आपको अचरज होगा कि देश की रफ्तार क्या है, गति क्या है, प्रगति कैसे आगे बढ़ रही है. शौचालय ही ले लें. अगर 2013 की रफ्तार से देश में शौचालय बनवाने का काम होता तो दशकों लग जाते शत-प्रतिशत शौचालय बनवाने में. गांवों में बिजली पहुंचने की बात करें तो 2013 के आधार पर गांवों में बिजली पहुंचाने पर एक-दो और लग जाते.''
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, '' अगर एलपीजी गैस कनेक्शन की बात करें तो गरीब मां को धुआं मुक्त बनाने वाला चुल्हा देने के लिए 2013 की रफ्तार से चले होते तो उस काम को पूरा करने में 100 साल भी कम पड़ जाते. अगर 2013 की स्पीड से देश में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम करते तो शायद पीढ़िया बीत जाती उस गति से गांवों में आप्टिकल फाइबर पहुंचाने में. देश की आवश्यकताएं और अपेक्षाएं ज्यादा हैं और इसे पूरा करने के लिए राज्य और केंद्र को साथ काम करना जरुरी होता है. उसी का परिणाम है कि देश में कैसा बदलाव आया है. देश वही है, धरती वही है, हवाएं वही है, आसमान वही है, समंदर वही है, सरकारी दफ्तर वही है,फाइलें वही हैं, निर्णय प्रक्रियाएं करने वाले लोग वही हैं. लेकिन चार साल में देश बदलाव महसूस कर रहा है. ''
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