कोलकाता: रामकृष्ण मठ के प्रमुख स्वामी आत्मस्थानंद का निधन हो गया है. स्वामी जी लंबे समय से बीमार थे. कल शाम उन्होंने कोलकाता के अस्पताल में आखिरी सांस ली. स्वामी आत्मस्थानंद ने पीएम मोदी को अध्यात्म की बजाय समाजसेवा की राह दिखाई थी.
स्वामी आत्मस्थानंद के निधन की खबर जैसे ही कोलकाता में रामकृष्ण मठ के मुख्यालय पहुंची तो वहां शोक फैल गया. दूर-दूर से मठ के अनुयायी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचने लगे. पीएम मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री समेत तमाम लोगों ने स्वामीजी के निधन पर शोक जताया है.
पीएम मोदी ने स्वामी जी के चले जाने को निजी क्षति बताते हुए ट्विटर पर लिखा है, ‘’स्वामी आत्मस्थानंद जी का निधन मेरे लिए निजी क्षति है. मैंने अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय उनके सानिध्य में गुजारा है.’’
98 साल के स्वामी आत्मस्थानंद लंबे समय से बीमार थे. पिछले साल 17 अप्रैल को पीएम मोदी उन्हें देखने कोलकाता के बेलूर मठ के अस्पताल भी गए थे.
मोदी औऱ स्वामी आत्मस्थानंद में करीबी की कहानी तब से शुरू होती है, जब मोदी करीब 20 साल की उम्र में कोलकाता के रामकृष्ण मठ पहुंचे थे और स्वामी आत्मस्थानंद से दीक्षा लेने की गुजारिश की थी. तब स्वामीजी ने मोदी को दीक्षा देने से ये कहते हुए इनकार कर दिया था कि आपमें समाजसेवा के जरिए आध्यात्मिक ऊंचाई पाने का हुनर दिख रहा है. इस रास्ते से भी मानव सेवा की जा सकती है.
मोदी स्वामी आत्मस्थानंद की इस सीख से बेहद प्रभावित हुए और उन्हें गुरु मानने लगे. मोदी ने हिमालय से लौटने के बाद राजकोट में भी कुछ समय स्वामी आत्मस्थानंद के सानिध्य में बिताया. स्वामी आत्मस्थानंद का अंतिम संस्कार आज कोलकाता के बेलूर मठ में किया जाएगा. स्वामी जी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी शिक्षाएं हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी.