नई दिल्लीः सियासत की पिच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टाइमिंग की अहमियत समझने वाले खिलाड़ी हैं. बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के बहाने काठमांडू पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने बहुपक्षीय कूटनीति साधने के साथ ही जहां नेपाल के साथ संबंधों की सिलवटें दूर करने पर ज़ोर दिया तो वहीं घरेलू मोर्चे पर शिवभक्ति की राजनीति में भी खुद को भारी दिखाने का मौका नहीं गंवाया.


बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा की तो साथ ही भारत की मदद से बनी धर्मशाला का उद्घाटन करते हुए अपनी शिव आस्था का इतिहास भी गिनाया. पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ही खुद को सोमनाथ की धरती से निकला और विश्वनाथ की नगरी से पशुपतिनाथ की धरती पर आया बेटा बताते हुए की. भाषण में अनेक बार उन्होंने पशुपतिनाथ से भारत के अटूट सम्बन्ध और आस्था का हवाला दिया. इतना ही नहीं पीएम ने अपने संबोधन का समापन भी दोनों देशों के सम्बन्धों पर पशुपतिनाथ की कृपा की प्रार्थना के साथ किया.


बीते तीन महीनों में दूसरी बार पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा करने पहुंचे पीएम मोदी ने एक बार फिर भगवान शिव के दर्शन की शुरुआत दक्षिण मुख प्रवेशद्वार से की जो शत्रुसंहार का दर्शन माना जाता है. ऐसे में जबकि कांग्रेस पार्टी अपने अध्यक्ष की कैलाश मानसरोवर को निजी आस्था का विषय बताते नहीं थक रही, पीएम मोदी ने अपनी पशुपतिनाथ यात्रा के बहाने कूटनीतिक संबंध साधने की भी कोशिश की. मोदी ने पशुपतिनाथ धर्मशाला का लोकार्पण करते हुए इसे नेपाल के विकास में भारत का सहयोग करार दिया.


इतना ही नहीं नेपाल का साथ बीते कुछ वक्त में उभरी दरारों को पीएम मोदी ने पाटने का प्रयास भी किया. इस मौके पर पीएम मोदी और नेपाली प्रधानमंत्री ने बेहतर तालमेल दिखाने की कोशिश भी की. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने यह कहते हुए नेपाली में अपना भाषण दिया कि उनकी भाषा गुजराती के काफी करीब है जो पीएम मोदी की मातृभाषा है. इतना ही नहीं ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के काव्यसंकलन के नेपाली अनुवाद और उसे प्रसारित करने का भी ऐलान किया. जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने ओली का धन्यवाद जताते हुए पुरजोर तरीके से कहा कि नेपाल के विकास में एक सच्चे दोस्त की तरह भारत हर मोर्चे पर साथ खड़ा होगा.


दोनों प्रधानमंत्री भारत और नेपाल के बीच रक्सौल-काठमांडू रेल मार्ग के लिए प्रारंभिक सर्वे पर सामझौते के भी गवाह बने. इस बाबत 7 अप्रैल 2018 को दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी. बीए कुछ वक्त में नए संविधान और मधेसी आंदोलन के चलते नेपाल-भारत संबंधों में आई खटास डोर करने के लिए दोनों तरफ से उच्च स्तरीय प्रयास हुए. इसी कड़ी में गत चार महीनों में दोनों प्रधानमंत्री तीन बार एक दूसरे के मुल्क का टूर कर सीधी मुलकातें कर चुके हैं. वहीं विकास परियोजनाओं को भी नई रफ्तार देने की कोशिश हुई है.


भगवान शिव की शरण में पीएम मोदी, थोड़ी देर में काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में करेंगे दर्शन