नई दिल्ली: चीन के वुहान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनौपचारिक शिखर बैठक दोनों मुल्कों के रिश्तों में तकरार के मुद्दों को इकरार में बदलने के वादे के साथ खत्म हो गई. बैठक खत्म कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वापस लौटे तो अपने साथ सीमा तनाव कम करने, कारोबारी मतभेद घटाने पर चीन की रजामंदी, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और अफगानिस्तान में एक साझा आर्थिक परियोजना को पूरा करने पर संकल्प का रिटर्न गिफ्ट लाए.


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बैठक के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों से लेकर अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर बात की. सीमा तनाव के संदर्भ में दोनों नेताओं का मत था कि सरहद पर शांति बनाए रखना ज़रूरी है. इस कड़ी में दोनों नेता अपनी-अपनी सेनाओं को रणनीतिक संदेश देंगे कि वे आपसी संवाद बेहतर रखें और विश्वास बढ़ोतरी के उपायों पर ध्यान दें. सीमा विवाद सुलझाने के लिए बने विशेष प्रतिनिधि स्तर वार्ता तंत्र में 2005 में तय राजनीतिक मानकों के आधार पर एक स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए आगे बढ़ेंगे.


पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी की बैठक में पाकिस्तान को झटका


इस बीच पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी की मुलाकात ने पाकिस्तान को भी झटका दिया है. सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान इस बात पर सहमति बनी है कि भारत और चीन मिलकर अफगानिस्तान में एक साझा आर्थिक परियोजना को आगे बढ़ाएंगे. इस परियोजना का स्वरूप क्या होगा यह दोनों पक्ष मिलकर तय करेंगे. यह पहला मौका होगा जब दोनों देश किसी तीसरे मुल्क में कोई परियोजना शुरू करेंगे.


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वरिष्ठ पत्रकार और बीजिंग में भारतीय समाचार पत्र ‘द हिन्दू’ के संवाददाता अतुल अनेजा कहते हैं कि साझा परियोजना का विचार काफी व्यापक रणनीतिक बदलाव का निशान है. अफगानिस्तान में अबतक पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आने वाला चीन अगर भारत के साथ संयुक्त निवेश परियोजना पर कम करता है तो यह अपने आप में एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव है. ज़ाहिर है इससे पकिस्तान की परेशानी बढ़ेगी.


दो दिनों की अनौपचारिक बैठक और 10 घण्टे के साथ के दौरान दोनों नेताओं के बीच यूं तो काफी मुद्दों पर बात हुई मगर विदेश सचिव विजय गोखले ने इस बात की तस्दीक की कि चर्चा की मेज पर आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी का मुद्दा भी उठा. उन्होंने बताया कि दोनों मुल्कों ने आतंकवाद को अस्वीकार्य करार देते हुए इसके खिलाफ साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई.


हालांकि यह सवाल बरकरार है कि मसूद अजहर जैसे आतंकवादी को यूएन प्रतिबंधित सूची में डाले जाने की मुहिम में अब तक अड़ंगा लगता रहा चीन क्या अगली बार भारत के प्रयासों का साथ देगा? इस बारे में जब विदेश सचिव से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कोई सीधा जवाब तो नहीं दिया लेकिन इतना ज़रूर कहा कि नेताओं के बीच बनी सहमति को अब दोनों पक्ष के अधिकारी मौजूदा संवाद तंत्र के जरिए आगे बढ़ाएंगे. भारत और चीन के बीच 20 संवाद तंत्र हैं जिनके जरिए विभिन्न मुद्दों पर बातचीत होती है.


पीएम मोदी की मेहमाननवाजी पर चीन ने दिया खास ध्यान


भारतीय खेमा इस बैठक में चीनी राष्ट्रपति की ओर से भारत के प्रधानमंत्री की खास मेहमाननवाजी पर दी गई तवज्जो को भी काफी अहम मान रहा है. सूत्रों के मुताबिक बॉलीवुड संगीत से लेकर भोज की मेज पर पीएम मोदी के लिए खास शाकाहारी व्यंजन और दावत की सजावट में मोर जैसे भारतीय प्रतीकों का इस्तेमाल काफी कुछ कहता है.


जानकारों के मुताबिक चीन की कूटनीति में प्रतीकों की अहमियत के मद्देनजर यह काफी अहम है कि चीन के राष्ट्रपति ने बीजिंग से बाहर और अनौपचारिक बैठक के लिए इतना वक्त दिया. इसके बाद उम्मीद है कि चीन के प्रशासन में नीचे तक इसका असर होगा और भारत के प्रति एक सकारात्मक संदेश जाएगा.


निवेश के माहौल पर सकारात्मक असर होगा


पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच नजर आई केमिस्ट्री को लेकर कारोबारी रिश्तों में डोकलाम विवाद के बाद से चली आ रही अड़चनों के भी सुलझने की उम्मीद है. पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात पर संतोष जताते हुए भारतीय निर्यातक सुमित गुप्ता कहते हैं कि इससे सकारात्मक पहल होगी. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के कृषि और फार्म उत्पादों का मुद्दा उठाया है और यह बेहद महत्वपूर्ण है. हम आशान्वित हैं कि इस मुलाकात के बाद चीन की तरफ से डोकलाम विवाद के बाद लगाई गई अड़चनें कम होंगी. निवेश का माहौल सुधरने का संबंद्धों पर भी सकारात्मक असर होगा.


हालांकि मोदी-शी मुलकात के वादों और इरादों की असली अग्नि परीक्षा विवादों की सूरत में होगी. ऐसे में नजरें न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप की अगली बैठक पर होगी जहां भारत के आवेदन पर चर्चा होगी. या फिर मसूद अजहर जैसी आतंकवादी के प्रतिबंध पर भारत की तरफ से ताजा पहल होगी.