एससीओ बैठक में आतंकव़ाद का मुद्दा उठा सकते हैं प्रधानमंत्री मोदी
भारत और पाकिस्तान को 2017 में एससीओ की स्थायी सदस्यता दी गई थी. एससीओ अभी दुनिया की आबादी के लगभग 42 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी के 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है.
नई दिल्ली: बिश्केक में 13-14 जून को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आतंकवाद के बढ़ते खतरे सहित क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों से निपटने के बारे में भारत के रूख को स्पष्ट करने की उम्मीद है. मोदी के लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद यह पहली बहुपक्षीय बैठक होगी जिसमें वह भाग लेने जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) ए गितेश सरमा ने कहा कि प्रधानमंत्री एससीओ बैठक से इतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे.
सरमा ने कहा कि किर्गिस्तान में शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के वैश्विक सुरक्षा स्थिति, बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग, लोगों से लोगों का संपर्क और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय महत्व के सामयिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद हैं.
ए गितेश सरमा ने कहा कि उम्मीद है कि भारत शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे को उठाएगा लेकिन वह किसी विशिष्ट देश के बारे में बात नहीं करेगा. भारत 2005 से एससीओ में एक पर्यवेक्षक रहा है और समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया है. भारत और पाकिस्तान को 2017 में एससीओ की स्थायी सदस्यता दी गई थी.
सरमा ने कहा कि भारत एससीओ देशों के सदस्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के महत्व पर भी जोर देने की संभावना है. एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी. एससीओ अभी दुनिया की आबादी के लगभग 42 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी के 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है.
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