पीएम मोदी का अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर भरोसा बरकरार, 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने की फिर जताई उम्मीद
पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था को लेकर कई बड़ी बातें कहीं. पीएम मोदी ने तेजी से महामारी से उबर रही दुनिया के संदर्भ में न्यू इंडिया’ के दृष्टिकोण को भी परिभाषित किया
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद एक बड़े अखबार को पहली बार इंटरव्यू दिया है. इस दौरान पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था को लेकर कई बड़ी बातें कहीं. पीएम मोदी ने तेजी से महामारी से उबर रही दुनिया के संदर्भ में न्यू इंडिया’ के दृष्टिकोण को भी परिभाषित किया. उन्होंने बताया कि पहले से तैयार की गई रणनीतियों जैसे कि ‘लॉकडाउन’ ने कई जिंदगियों को बचाने में मदद की है.
देश की अर्थव्यवस्था ठीक होने की राह पर
इकनॉमिक टाइम्स को दिए इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा जताया, उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ठीक होने की राह पर है और वह 2024 तक 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आशावादी हैं. पीएम मोदी ने कहा कि देश कोविड-19 के असर से धीरे धीरे उबर रहा है. देश के कृषि और रक्षा क्षेत्र में लगातार सुधार आ रहा है और इसका असर देश की जीडीपी बढ़ने के रूप में देखा जाएगा.
कृषि और श्रम में हो रहा सुधार
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आलोचकों को भी जवाब देते हुए कहा कि वे सरकार को श्रेय नहीं देना चाहते हैं लेकिन हकीकत यह है कि कृषि और श्रम में निरंतर सुधार हो रहा है जो कि वैश्विक निवेशकों के लिए एक बड़ा संकेत हैं. उन्होंने यह भी बताया कि श्रम कोड नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए एक जीत क्यों हैं? उन्होंने कहा कि, “यह अक्सर मजाक में कहा जाता था कि औपचारिक क्षेत्र में श्रम की तुलना में भारत में श्रम कानून ज्यादा थे”. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि, श्रम कानूनों में अक्सर श्रम को छोड़कर सभी की मदद की जाती है. ”
विभिन्न अवसर प्रदान करेगा भारत
वहीं जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में चीन को बदलने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "हमारा प्रयास किसी देश का विकल्प बनने के लिए नहीं है, बल्कि एक ऐसा देश बनने के लिए है जो विभिन्न अवसर प्रदान करता है."
क्या अर्थव्यवस्था सुधर रही है?
इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि हम लोग अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की राह पर हैं, संकेत भी यही मिल रहे हैं. पहला कृषि में, जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि हमारे किसानों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और हमने भी एमएसपी पर फसल खरीदने का रिकॉर्ड बनाया है. रिकॉर्ड उत्पादन और रिकॉर्ड खरीद की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कमाई बढ़ेगी. रिकॉर्ड विदेशी निवेश से संकेत मिल रहे हैं कि भारत की छवि एक निवेश के लिए अनुकूल देश के तौर पर बढ़ रही है. महामारी के बावजूद इस साल अप्रैल से अगस्त में 35.73 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ है, ये पिछले साल इसी वक्त के मुकाबले 13 फीसदी ज्यादा है. गाड़ियों की बिक्री जिसमें ट्रैक्टर भी शामिल है, उसने पिछले साल के स्तर को पार कर लिया है. मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में लगातार सुधार हो रहे हैं, जिसकी वजह से उभरते बाजार में भारत सितंबर में चीन और ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गया है.
पीएम ने ये भी कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग के बढ़ने का असर पिछले सात महीनों के निर्यात में नजर आ रहा है. ई-वे बिल्स और जीएसटी कलेक्शन में भी बढ़ोतरी दिख रही है. और आखिर में अगस्त 2020 में ईपीएफओ के नए खाताधारकों में जुलाई के मुकाबले 34 फीसदी का इजाफा हुआ है. यानी 10 लाख नए ग्राहक ईपीएफओ से जुड़े हैं. जो ये दिखाता है कि रोजगार बढ़ रहे हैं. इसके अलावा विदेशी मुद्रा भंडार एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है. अर्थव्यवस्था की वापसी के प्रमुख संकेतों में देखें तो इस साल सितंबर में पिछले साल के मुकाबले रेलवे की माल ढुलाई में 15 फीसदी और ऊर्जा की मांग में 4 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसके साथ ही आत्मनिर्भर भारत की घोषणा ने भी अर्थव्यवस्था को मदद दी है, खासतौर पर छोटे कारोबार और असंगठित क्षेत्र में मजबूती आई है.
कोरोना के बाद भारत क्या करेगा ?
इस सवाल का जबाव पीएम मोदी ने दिया और कहा कि भारत ने उत्पादन के मामले में महामारी के बाद काम शुरू नहीं किया है. हम पिछले कुछ समय से उत्पादन पर जोर दे रहे हैं. भारत नौजवानों का देश है और यहां कुशल कामगारों की कमी नहीं है. लेकिन भारत दूसरों के नुकसान से फायदा उठाने पर यकीन नहीं करता. भारत अपनी ताकत के दम पर दुनिया में उत्पादन का केंद्र बनेगा. हमारी कोशिश किसी दूसरे देश का विकल्प बनना नहीं है बल्कि हम ऐसा देश बनना चाहते हैं जो उत्पादकों को सबसे अलग मौका मुहैया कराएगा. हम सबका विकास चाहते हैं. अगर भारत का विकास होता है तो मानवता का छठा हिस्सा विकास करेगा. हमने देखा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया में एक नई व्यवस्था बनी. ऐसा ही कुछ कोरोना के बाद भी होगा. इस बार भारत उत्पादन के दम पर आगे बढ़ेगा और ग्लोबल सप्लाई चेन को एकजुट करेगा. भारत को डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी और डिमांड का फायदा होगा.
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