PM Modi on Agni-5: भारत ने सोमवार (11 मार्च) को न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की पहली फ्लाइट टेस्टिंग की, जो सफल रही. इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत की जद में सिर्फ चीन और पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि आधी दुनिया आ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत विकसित अग्नि -5 मिसाइल के पहले सफल फ्लाइट टेस्ट के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दी हैं.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "मिशन दिव्यास्त्र Agni-5 के लिए हमारे DRDO वैज्ञानिकों पर गर्व है. वैज्ञानिकों की मदद से मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी के विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला फ्लाइट टेस्ट हुआ है."
क्या है अग्नि मिसाइलों में भारत की ताकत?
बता दें कि भारत के पास अग्नि सीरीज की 1 से 5 तक मिसाइलें हैं. अग्नि-5 इनमें से सबसे खास है. यह मिसाइल 5 हजार से भी ज्यादा दूर टारगेट को हिट कर सकती है. इसके परीक्षण की तैयारी काफी पहले से की जा रही थी. इसके लिए ओडिशा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से 3500 किमी तक का क्षेत्र 'नो फ्लाई जोन' घोषित किया गया था. इसके सफल परीक्षण के बाद अब इसे जल्द ही भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा.
16 सालों से हो रहा था मिसाइल पर काम
डीआरडीओ ने 2008 में अग्नि-5 पर काम शुरू किया था. डीआरडीओ के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI), एडवांस्ड सिस्टम लैबोरेटरी (ASL), और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी (DRDL) ने मिलकर इसे तैयार किया. इस प्रोजेक्ट की डायरेक्टर एक महिला हैं. इस पूरे प्रोजक्ट में महिलाओं की भूमिका सबसे अधिक है.
क्या है एमआईआरवी टेक्नोलॉजी?
-किसी मिसाइल में एक ही बार में कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है.
- इन हथियारों से अलग-अलग लक्ष्यों को भेदा जा सकता है.
- इसे सड़क के माध्यम से कहीं भी ले जाया जा सकता है.
- इससे पहले की अग्नि मिसाइलों में यह सुविधा नहीं थी.