MP की गोंड पेंटिंग, तेलंगाना की सुराही...पीएम मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन से इतर मुलाकातों में किसे दिया कौन ना गिफ्ट?
BRICS Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति और प्रथम महिला को उपहार प्रदान किए हैं, साथ ही ब्राजील के राष्ट्रपति को भी गिफ्ट दिया है.
BRICS Summit 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर समूह के राष्ट्राध्यक्षों को उपहार प्रदान किए. पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा को मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग उपहार में दी है. पीएम मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को तेलंगाना के बिदरी वर्क वाली सुराही का जोड़ा दिया, साथ ही दक्षिण अफ्रीका की प्रथम महिला को नागालैंड शॉल भेंट किया.
PHOTO | PM Modi gifts Bidri work Pair of Surahi from Telangana to South African President, Nagaland Shawl to the first lady of South Africa, and Gond Painting from Madhya Pradesh to Brazilian President.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 24, 2023
(Source: Third Party) pic.twitter.com/ZGwqbnKj1m
क्या होती है गोंड पेंटिंग?
गोंड पेंटिंग सबसे ज्यादा सराहे जाने वाले ट्राइबल ऑर्ट फॉर्म में से एक है. गोंड शब्द द्रविड़ियन अभिव्यक्ति 'कोंड' से आया है, जिसका अर्थ 'हरा पहाड़ा' होता है. ये पेंटिंग गोंड जनजाति के लोगों के घरों की दीवारों और फर्शों पर बिंदुओं और रेखाओं को उकेरकर बनाई जाती रही हैं. इस ट्राइब के घरों के निर्माण और पुनर्निर्माण के साथ इन्हें बनाया जाता है, जिसमें स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक रंगों और सामग्रियों जैसे कि चारकोल, रंगीन मिट्टी, पौधों के रस, पत्तियों, गोबर और चूना पत्थर के पाउडर आदि का इस्तेमाल किया जाता है.
क्या है बिदरी सुराही?
बिदरी सुराही दरअसल एक प्रकार का फूलदान है. इसके लिए प्रयोग किए जाने वाले बिदरीवेयर का नाम बीदर से लिया गया है. यह मूल रूप से 500 साल पुरानी फारसी कला है लेकिन बिदरीवेयर पूरी तरह से भारतीय इनोवेशन है. बिदरी फूलदान जिंक, तांबे और अन्य अलौह धातुओं के मिश्र धातु से बनाया जाता है. इस पर सुंदर पैटर्न उकेरे जाते हैं और शुद्ध चांदी के तार जड़े जाते हैं. इसे तैयार करने की प्रक्रिया में बीदर किले की विशेष मिट्टी के घोल का इस्तेमाल भी किया जाता है.
नागा शॉल
नागा शॉल कपड़े कला का एक उत्कृष्ट रूप है जिसे नगालैंड की जनजातियों की ओर से सदियों से बुना जाता रहा है. ये शॉल अपने जीवंत रंगों, जटिल डिजाइनों और पारंपरिक बुनाई तकनीकों के उपयोग के लिए जाने जाते हैं. पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह काम होता आया है. इसे स्थानीय रूप से प्राप्त सामग्री जैसे कि कपास, रेशम और ऊन से बनाया जाता है. हर एक नागा शॉल एक अनोखी कहानी बताता है जो जनजाति के इतिहास, मान्यताओं और जीवन शैली को दर्शाता है. नागा शॉल में इस्तेमाल किए जाने वाले रंग प्रतीकात्मक होते हैं. बुनकर अक्सर इन जीवंत रंगों को बनाने के लिए पौधों और जड़ों से बने प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते हैं.
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