करोड़ों रुपये भी पड़ गए कम और मां गंगा अब भी रह गई मैली...
केंद्र सरकार ने भारत में मां के नाम से पूजे जाने वाली गंगा नदी की सफाई के लिए आज से 8 साल पहले नमामि गंगे की पहल की थी. इसका मकसद नदी की सफाई और उसे उसके पुराने पावन-निर्मल रूप में लौटा लाने का था.
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राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते-धोते...राज कपूर की बनाई फिल्म "राम तेरी गंगा मैली हो गई" का ये गीत तो आपको याद ही होगा. इस गीत के ये बोल आज गंगा नदी के हालातों पर सटीक बैठते हैं, लेकिन शायद 37 साल पहले इस गीत को लिखवाते वक्त राज कपूर ने ये नहीं सोचा होगा कि एक दिन वास्तव में पापियों के पाप धोने वाली मोक्षदायिनी गंगा को खुद ही सफाई की पुरजोर दरकार होगी.
इंसान की हर तरह की गंदगी, अपशिष्ट जैसे पापों को धोते-धोते गंगा नदी दम तोड़ने के कगार पर खड़ी है. यही वजह रही कि भारत सरकार ने दम तोड़ती गंगा नदी को जिलाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन- एनएमसीजी (The National Mission For Clean Ganga -NMCG) की शुरुआत की थी.
आज से 8 पहले शुरू किए गए गंगा को साफ करने के इस मिशन को तय मियाद से 5 साल आगे बढ़ा दिया गया है, लेकिन गंगा आज भी बिलख रही है कि करके गंगा को खराब, देते गंगा की दुहाई, क्या करे बेचारी कि इसे अपने ही लोग डुबोते हैं... दरअसल गंगा का ये जिक्र हम अचानक ही नहीं कर रहे हैं. 30 दिसंबर शुक्रवार को राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक इसकी एक वजह है. इसमें नमामि गंगे पहल को लेकर कई खुलासे हुए और गंगा को साफ करने की कोशिशों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया.
हीरा बेन को आखिरी विदाई और मां गंगे की फिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मां हीरा बेन को आखिरी विदाई देने के बाद पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. उन्होंने इसी तरीके राष्ट्रीय गंगा परिषद की दूसरी बैठक की भी अध्यक्षता की. ये बैठक 3 साल बाद हुई, पीएम मोदी इस बैठक के लिए कोलकाता जाने वाले थे, लेकिन अपनी मां के निधन की वजह से उन्होंने वर्चुअली ही इसमें शिरकत की. इस दौरान नमामि गंगे पहल को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की गई.
छोटे शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विस्तार और गंगा और उसकी सहायक नदियों में सफाई की कोशिशों को बढ़ाने को लेकर बात हुई. गंगा के किनारे हर्बल खेती को बढ़ाने के तरीकों पर भी जोर दिया गया. इसके साथ ही नदी किनारे पर्यटन के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की जरूरत पर भी बल दिया गया.
इससे कई लोगों को रोजी-रोटी कमाने के मौके मिल सकते हैं. इस बैठक में सबसे बड़ी बात निकल कर सामने आई कि सरकार साल 2014 से लेकर अब तक गंगा की सफाई पर 13000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है. इसमें सबसे अधिक खर्चा उत्तर प्रदेश को दिया गया.
The National Ganga Council meet held earlier today was a great opportunity to discuss ways to further strengthen the Namami Gange initiative. Spoke about ways to enhance cleanliness efforts including expanding the network of sewage treatment plants in the smaller towns. pic.twitter.com/3TyDD8btPn
— Narendra Modi (@narendramodi) December 30, 2022
सफाई पर 8 साल में करोड़ों रुपये खर्च
सरकार के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम को अमलीजामा पहनाने के लिए जवाबदेह राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन- एनएमसीजी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय गंगा परिषद को इस कार्यक्रम में साल 2014 से अब-तक हुए खर्चे के बारे में जानकारी दी. दरअसल सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों का "कायाकल्प" करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक की अवधि के लिए 2014-15 में नमामि गंगे की शुरुआत की थी. हालांकि बाद में इस कार्यक्रम को 31 मार्च, 2026 तक 5 साल के लिए और बढ़ा दिया गया था.
जानकारी के मुताबिक केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2014-15 से 31 अक्टूबर, 2022 तक एनएमसीजी को कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए हैं. एनएमसीजी ने 13,046.81 करोड़ रुपये की इस रकम में से अधिकांश राज्य सरकारों, स्वच्छ गंगा राज्य मिशनों (एसएमसीजी) और इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अन्य एजेंसियों को खर्च के लिए जारी किए थे. इसमें सबसे अधिक रुपये नदियों को सफाई के लिए उत्तर प्रदेश को दिए गए.
- एनएमसीजी की 2014-15 से लेकर 31 अक्टूबर 2022 तक गंगा को साफ करने के लिए का राज्यों को जारी को गई रकम
क्रं.संख्या | राज्य | एनएमसीजी की दी गई रकम करोड़ रुपये में |
1 | उत्तर प्रदेश | 4205.41 |
2 | बिहार | 3516.63 |
3 | पश्चिम बंगाल | 1320.39 |
4 | दिल्ली | 1253.86 |
5 | उत्तराखंड | 1117.34 |
यूपी को मिला सबसे अधिक खर्चा
गंगा नदी की सफाई के लिए सबसे अधिक खर्च उत्तर प्रदेश को दिया गया है. इसकी वजह है कि 2,525 किलोमीटर लंबाई वाली गंगा नदी का 1,100 किलोमीटर का हिस्सा इस सूबे में पड़ता है. इस वजह से एनएमसीजी ने 4,205.41 करोड़ रुपये इस सूबे को जारी किए हैं. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए जारी किए कुल बजट का ये लगभग दो-तिहाई है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जून 2014 में 20,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय खर्च के साथ नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया था.
उत्तर प्रदेश के बाद नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत एनएमसीजी ने बिहार को 3,516.63 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल को 1,320.39 करोड़ रुपये, दिल्ली को 1,253.86 करोड़ रुपये और उत्तराखंड 1,117.34 करोड़ रुपये की रकम जारी की है. इसके अलावा नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत अन्य राज्यों को भी नदी की सफाई के लिए खर्चा दिया गया. इसमें झारखंड को 250 करोड़ रुपये, हरियाणा को 89.61 करोड़ रुपये, राजस्थान को 71.25 करोड़ रुपये, हिमाचल प्रदेश को 3.75 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश को 9.89 करोड़ रुपये जारी किए गए है.
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