नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के बैंकों की करीब 500 शाखाओं का स्टिंग करवाया है. देश के वित्त मंत्रालय में स्टिंग ऑपरेशन के सीडी पहुंच चुके हैं. लेकिन सही वक्त पर कार्रवाई का इंतजार है. सूत्रों के मुताबिक़ तमाम सरकारी बैंकों के साथ निजी बैंकों में नोटबंदी के बाद जिस तरह मैनेजरों और बैंक कर्मियों ने गोरखधंधा चलाया उसकी 400 से ज्यादा सीडी वित्त मंत्रालय के पास पहुँच चुकी है. इन सीडी में किस तरह बैंकों में पुलिस-दलाल और प्रभावशाली लोगों का धन बदला जा रहा है इसके पुख़्ता सुबूत रिकार्ड हो गए हैं. इनमें महानगरों के साथ-साथ कुछ छोटे शहरों के बैंक भी शामिल हैं.


इसी हफ्ते एक्सिस बैंक के दो मैनेजर 40 करोड़ के घोटाले में दिल्ली से गिरफ्तार किए गए. इनके अलावा


एक्सिस बैंक ने अपने 19 कर्मचारियों पर कार्रवाई की है
कोलकाता में केनरा बैंक के डिप्टी मैनेजर
राजस्थान के अलवर में कोऑपरेटिव बैंक मैनेजर
पंजाब के बठिंडा में ओबीसी बैंक के मैनेजर-कैशियर
बैंगलूरु में सेंट्रल बैंक के मैनेजर
हैदराबाद में सिंडिकेट बैंक के दो कर्मचारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं



बैंक अधिकारियों पर हल्की कार्रवाई रणनीति का हिस्सा है. एक बार करेंसी का संकट कुछ सुधरे तो सरकार भ्रष्ट बैंक पर सबक सिखाने वाली कार्रवाई करेगी. जो फरवरी मार्च के करीब हो सकती है. हांलाकि नोटबंदी में बैंकों की भूमिका बहुत संवेदनशील औऱ महत्वपूर्ण है पर कुछ बैंकों की अबतक की गड़बड़ी से देश को कितना नुकसान हुआ ये भी समझ लीजिए.


आज तमिलनाडु के वेल्लोर में 24 करोड़ के नए नोट पकड़े गए
9 दिसंबर- मुंबई के दादर में 72 लाख रुपये जब्त
गुड़गांव से 17 लाख रुपये जब्त
सूरत से 76 लाख रुपये जब्त
8 दिसंबर- चेन्नई से 10 करोड़ रुपये बरामद
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद से 40 लाख रुपये बरामद
7 दिसंबर- गोवा से डेढ़ करोड़ रुपये बरामद
कर्नाटक के उडुप्पी में 71 लाख रुपये मिले
29 नवंबर- तमिलनाडु के कोयंबटूर में 1 करोड़ बरामद
23 नवंबर- गुजरात में 10 लाख रुपये बरामद
20 नवंबर-गुजरात के सांबरकांठा में 8 लाख रुपये मिले



पिछले बीस दिनों में 200 करोड़ रुपये जब्त किए जा चुके हैं. आपको बताते हैं कि ये 200 करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में होते तो क्या होता



- आप जैसे बीस लाख लोगों को 2-2 हजार रुपये मिल सकते थे.
- प्रति एटीएम 40 लाख रुपये डालकर 500 एटीएम फुल किये जा सकते थे.
- एक छोटे शहर में करीब बीस एटीएम होते हैं ऐसे में 25 शहरों के एटीएम इससे भरे जा सकते थे.
- एक एटीएम से रोज 200 लोग 2000 रुपये 500 दिनों तक निकाल सकते थे.



रेवेन्यु इंटेलीजेंस से जुड़े सूत्रों ने साफ कहा कि जनता को परेशानी इतनी न होती अगर बैंकों ने अपनी भूमिका सही ढंग से निभाई होती. कई सीडी तो ऐसी हैं जिसमें बैंक के मैनेजर और कर्मचारी सैकड़ों आईडी लाकर 4000 या 4500 रुपये खुद ही बदलते रहे. वहीं बैंकों के बाहर क़तारें लगी रहीं. इसीलिए स्याही लगा कर नोट बदलने की सीमा को घटाकर 2000 किया गया था और फिर बंद कर दिया गया.


सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा भी कई तरीके से गड़बड़ी हुई है और अब सबकी जांच चल रही है. आगे कार्रवाई होगी. फिलहाल काम पर असर न पड़े इसलिए भी सरकार कार्रवाई को टाल रही है. यानी मोदीजी का कैमरा 400 से ज्यादा बैंकों में हुए गोरखधंधे का काला चिट्ठा जमा कर चुका है. अब एक्शन की बारी है.