आजाद हिंद सरकार के 75 साल: लाल किले में पीएम मोदी ने फहराया तिरंगा, कहा- एक परिवार के लिए सपूतों को भुलाया गया
आजाद हिंद सरकार के 75 साल: आज से 75 साल पहले 21 अक्टूबर 1943 के दिन सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद भारत की पहली अस्थाई सरकार बनाई थी. तब के देशों ने अस्थाई भारत सरकार को मान्यता भी दी थी.
नई दिल्ली: आजाद हिंद सरकार के 75 साल पूरे होने पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले में तिरंगा फहराया. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने बिना नाम लिए कांग्रेस की पहले की सरकारों और गांधी नेहरू परिवार पर हमला भी बोला. प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ एक परिवार के लिए देश के सपूतों को भुला दिया गया.
कांग्रेस और गांधी पर पीएम मोदी का निशाना प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ''ये दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया.''
उन्होंने कहा, ''आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती.''
देश को नेता जी जैसा सपूत देने के लिए उनके माता -पिता को नमन इस मौके पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री ने कहा, ''आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया. मैं नतमस्तक हूं उस सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया.''
आजाद हिंद सरकार सिर्फ नाम नहीं था आजाद हिंद सराकार की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ''आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं. इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था. नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी. यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था.''
नए भारत के संकल्प के साथ 130 करोड़ बढ़ रहे हैं प्रधानमंत्री ने कहा, ''भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है. इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी. कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि - "हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है. इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है.''
पाकिस्तान को भी चेतावनी दी इशारों इशारों में पाकिस्तान पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने हमला बोला और उसे सावधान किया. उन्होंने कहा, ''हमारी सैन्य ताकत हमेशा से आत्मरक्षा के लिए रही है और आगे भी रहेगी. हमें कभी किसी दूसरे की भूमि का लालच नहीं रहा, लेकिन भारत की संप्रभुता के लिए जो भी चुनौती बनेगा, उसको दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा."
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी. आज़ादी के लिए जो समर्पित हुए वो उनका सौभाग्य था, हम जैसे लोग जिन्हें ये अवसर नहीं मिला, हमारे पास देश के लिए जीने का, विकास के लिए समर्पित होने का मौका है.''
क्या है आज के दिन का महत्व? आज के दिन लाल किले के भीतर सलीमगढ़ की इमारत इतिहास में अलग जगह रखती है. इस इमारत में आज़ाद हिंद फौज के तीन अफसरों कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरुबख्श सिंह ढिल्लन मेजर जनरल शाहनवाज़ खान पर 'लाल किला अभियोग' नाम से मशहूर मुकदमा चला था. आज से 75 साल पहले 21 अक्टूबर 1943 के दिन सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद भारत की पहली अस्थाई सरकार बनाई थी. तब के देशों ने अस्थाई भारत सरकार को मान्यता भी दी थी. सुभाष चंद्र बोस के नाम पर संग्रहालय खोलेगी सरकार केंद्र सरकार की योजना लाल किले पर सुभाष चंद्र बोस के नाम पर एक संग्रहालय खोलने की भी है. इस संग्रहालय में आज़ाद हिंद फौज के इतिहास और भारत की आजादी में उसकी लड़ाई से जुड़ी स्मृतियों को सहेजा जाएगा. साथ ही एनिमेशन और हाईटेक लाइट एंड साउंड प्रोग्राम के ज़रिए बोस और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाइयों को भी जीवंत किया जाएगा. इसी इमारत में बोस की स्मृतियों को सहेज कर रखा जाएगा.