(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'खामी भारत के धर्म और परंपराओं में नहीं है, बल्कि...'- महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती पर बोले पीएम मोदी
PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज विश्व अनेक विवादों में फंसा हुआ है, ऐसे में महर्षि दयानंद जी का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है. उन्होंने समाज को नई दिशा दी थी.
PM Modi On Swami Dayanand Saraswari Jayanti: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (12 फरवरी) को दिल्ली में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती का शुभारंभ किया. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामी दयानंद जी से हमें बहुत प्रेरणा मिलती है. उन्होंने पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाने की बात की है. पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी दयानंद जी ने सामाजिक सुधार के लिए बहुत सारे काम किए हैं.
उन्होंने कहा, 'जब महर्षि दयानंद का जन्म हुआ था तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़ कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास सब कुछ खोता चला जा रहा था. प्रति क्षण हमारे संस्कार, आदर्श को चूर-चूर करने का प्रयास होता था.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, 'यह अवसर ऐतिहासिक है और भविष्य के इतिहास को निर्मित करने का है. यह पूरे विश्व के मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का फल है. स्वामी दयानंद जी और उनका आदर्श था कि हम पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाएं.' पीएम ने कहा कि स्वामी दयानंद जी ने समाज को दिशा देने का कार्य किया.
'खामी भारत के धर्म और परंपराओं में नहीं है'
भारतीय संस्कृति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'खामी भारत के धर्म और परंपराओं में नहीं है, बल्कि हम उनके वास्तविक स्वरूप को भूल गए हैं और विकृतियों की ओर चले गए हैं.' प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे इतिहास को ध्वस्त करने के बहुत प्रयास हुए हैं.
'...तो लोग मुझे डांटते हैं'
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मैं कहता हूं कि हमें कर्तव्य पथ पर चलना ही होगा, तो लोग मुझे डांटते हैं, तो सोचिए 150 साल पहले महर्षि जी को समाज को रास्ता दिखाने में कितनी समस्याएं आई होंगी. उन्होंने सामाजिक भेदभाव, छूआछूत, जातिवाद और अन्य विकृतियों के खिलाफ सशक्त अभियान चलाया.
'आज विश्व अनेक विवादों में फंसा है'
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में आज जब विश्व अनेक विवादों में फंसा है, हिंसा और अस्थिरता में घिरा हुआ है, तब महर्षि दयानंद सरस्वती जी का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है. उन्होंने कहा, महर्षि दयानंद जी ने ही आगे आकर वेदों के साथ बोध को समाज में पुनर्जीवित किया.