प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी रिस्क लेने की जितनी क्षमता है उसका पूरी तरह इस्तेमाल भी नहीं हुआ है. निखिल कामत के साथ पॉडकास्ट में उन्होंने रिस्क लेने की क्षमता, एनजाइटी और विफलता जैसे मुद्दों पर बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह ये सब सोचकर कभी चिंता नहीं करते हैं कि आज जहां हैं वहां कल नहीं होंगे तो क्या होंगा. 


निखिल कामत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि क्या समय के साथ रिस्क लेने की उनकी क्षमता बढ़ रही है, तो पीएम मोदी ने कहा कि उनकी रिस्क लेने की क्षमता का अभी पूर्ण रूसे इस्तेमाल नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, 'मेरी रिस्क लेने की क्षमता अनेक गुना ज्यादा होगी. इसका कारण है कि मुझे परवाह नहीं है, मैंने अपने विषय में सोचा ही नहीं है और जो खुद के लिए नहीं सोचता है उसकी रिस्क लेने की क्षमता बेहिसाब होती ही. मेरा केस ऐसा है. आज मैं ये नहीं हूं, कल ये नहीं रहूंगा तो मेरा क्या होगा. इससे मेरा लेना देना नहं है.'


एनजाइटी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं ऐसे पद पर बैठा हूं कि मुझे अपनी भावनाओं को कंट्रोल रखना होगा, जो इंसान की नेचुरेल टेंडेंसी होती है उससे मुझे ऊपर रहना होगा. जैसे साल 2002 में गुजरात में चुनाव था. मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती थी. न टीवी देखा रिजल्ट आ रहा है तब भी. 11-12 बजे के आसपास मेरे सीएम बंगले के बाहर ढोल की आवाज आने लगी. मैंने मेरे लोगों को कहा कि 12 बजे तक मुझे कोई जानकारी मत देना. फिर मेरे ऑपरेटर ने चिट्ठी भेजी कि आप दो-तिहाई बहुमत से आगे चल रहे हैं. तो मैं नहीं मानता कि मेरे भीतर कुछ नहीं हुआ होगा, लेकिन उसे ओवर कम करने वाला मेरे पास एक थोट था.'


पीएम मोदी ने आगे कहा, 'उसी तरह मेरे यहां 5 जगह पर बम ब्लास्ट हुए तो मैंने कहा कि मैं पुलिस कंट्रोल रूम में जाना चाहता हूं, लेकिन पुलिस ने मुझे मना कर दिया कि पता नहीं कहां क्या पड़ा होगा, वो बड़े परेशान थे. आखिरकार मैं गाड़ी में आकर बैठ गया और मैंने कहा कि पहले अस्पताल जाऊंगा, उन्होंने मुझे मना किया कि अस्पताल में भी बम फूटे हैं मैंने कहा जो भी हो मैं जाऊंगा. तो मेरे भीतर आप कह सकते हैं कि बेचैनी और चिंता होगी, लेकिन मेरा तरीका ये था कि मैं अपने मिशन में खप जाता हूं.'


उन्होंने कहा कि वह कभी ना जीवन का सोचेते हैं न मृत्यु का. उन्होंने कहा, 'सच में मैं आज जहां पहुंचा हूं मैंने उसके बारे में कभी नहीं सोचा था. मैं जब सीएम बना तो आश्चर्यचकित था कि कैसे बन गया. मेरे जीवन की ये राह नहीं थी. दायित्व आया तो निभा रहा हूं, उसे अच्छे ढंग से करना है ये मेरा मकसद रहता है.' बचपन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं बहुत ही सामान्य विद्यार्थी रहा. किसी भी प्रकार से कोई मुझ नोटिस करे ऐसा नहीं था, लेकिन मेरे एक टीचर थे वो मेरे प्रति बहुत स्नेह रखते थे. वो एक दिन मेरे पिता से मिले और बोले कि इसमें बहुत टैलेंट है, लेकिन ये ध्यान केंद्रित नहीं करता. ये हर चीज बहुत जल्दी ग्रैब करता है, लेकिन फिर अपनी दुनिया में खो जाता है. उनकी मुझसे बहुत अपेक्षा थी, लेकिन मुझे ज्यादा पढ़ना अगर उसमें कॉम्पटीशन का एलीमेंट है तो मैं दूर भागता था, लेकिन दूसरी एक्टिविटी में मैं बहुत आगे रहता था.'


 


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