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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

इंडो-पैसिफिक अखाड़े के बड़े महारथी बन तीन अहम बैठकों में शरीक होंगे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी जापान के हिरोशिमा में भाग लेने के लिए आज सुबह एयर इंडिया वन विमान से रवाना हो गये हैं. हिरोशिमा से पीएम भारतीय कुटनीतिक ताकत के कई अहम संदेश देने वाले हैं.

PM Modi Foreign Visit: प्रधानमंत्री मोदी अगले 4 दिनों के दौरान तीन देशों में नजर आएंगे. उनकी यात्रा के एजेंडे में G7, QUAD और FIPIC जैसे अहम बहुराष्ट्रीय समूहों की बैठक में शिरकत करना शामिल है. मगर इसे सही मायनों में दुनिया की बड़ी टेबल पर भारत के बढ़ते रसूख की यात्रा कहा जा सकता है. 

पीएम इंडो-पैसिफिक की महाशक्ति के नेता के तौर पर जा रहे हैं और इंडो-पैसोफिक इलाके के ही दौरे पर जा रहे हैं. यह इलाका भारत के लिए न केवल नई सदी का अखाड़ा है बल्कि उसकी बढ़ती अहमियत का रिपोर्ट कार्ड भी है. भारतीय पीएम के इस दौरे को व्यस्त, व्यापक और ऐतिहासिक कहा जाए तो काफी हद तक मुफीद होगा.

हिरोशिमा से क्या संदेश देंगे पीएम मोदी?
नई दिल्ली से शुक्रवार सुबह रवाना हुए पीएम मोदी जापान के हिरोशिमा पहुंचेंगे जहां इस बार G7 शिखर बैठक का आयोजन किया जा रहा है. भारत इस बैठक में बीते कई सालों से आमंत्रित देश की तरह शरीक होता रहा है.

G7 दुनिया की औद्योगिक तौर पर विकसित और लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. जापान में हो रही उसकी बैठक जहां लोकतांत्रिक देशों की एकजुटता और चीन की बढ़ती चुनौती को संदेश देगी. वहीं इलाके में ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान के साथ इस ताकतवर समूह की नजदीकी भागीदारी दिखाकर चीनी दादागिरी के खिलाफ एक मजबूत विकल्प की व्यवस्था देने में भी मददगार होगी.

रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा कि G7 शिखर बैठक में मेरी उपस्थिति खास मायने रखती है क्योंकि भारत इस वक्त G20 की अध्यक्षता कर रहा है. मैं G7 और अन्य  सहयोगी देशों के साथ वैश्विक चुनौतियों पर बात करूंगा जिनको मिलकर ही हल किया जा सकता है.

G7 की बैठक के लिए हिरोशिमा ही क्यों बना वेन्यू?
रूस-यूक्रेन युद्ध पर कड़ा संदेश देने और दुनिया पर मंडराते परमाणु खतरे के खिलाफ संदेश देने के लिहाज से भी G7 देशों का यह जमावड़ा महत्वपूर्ण है. बैठक का वेन्यू हिरोशिमा को चुना जाना ही इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

हालांकि G7 की मेज पर भारत की मौजूदगी उसकी साख का सबसे बड़ा सिबिल स्कोर दिखाती है. भारत NPT जैसी संधि पर दस्तखत न करने के बावजूद एक ज़िम्मेदार एटमी शक्ति है जिसके साथ दुनिया के तमाम देश परमाणु ऊर्जा कारोबार करना चाहते हैं.  जिसका परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड बेदाग है.

इतना ही नहीं बीते सवा साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत ने खुलकर किसी खेमेबंदी का विरोध किया है. लेकिन बातचीत के जरिए शांति की उसकी बात को रूस और यूक्रेन ही नहीं G7 का कुनबा भी सुनता है. क्योंकि भारत ने शुरुआत से ही कहा है कि संघरविराम कर इस मामले को कूटनीतिक बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए. सितंबर 2022 में समरकंद में दिए पीएम मोदी के उस बयान को UN महासचिव से लेकर दुनिया के क़ई बड़े नेताओं ने दोहराया जिसमें मोदी ने कहा था कि यह काल युद्ध का नहीं है.

जापान के हिरोशिमा में ही अब क्वाड की भी बैठक होगी जिसे अमेरिका अपनी सबसे अहम साझेदारी बताता है. यह बैठक यूं तो ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में होनी थी लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडन के न पहुंच पाने के कारण इसे अब जापान में ही आयोजित किया जाएगा.

पापुआ न्यूगिनी का दौरा भी करेंगे पीएम मोदी
पीएम मोदी का जापान के बाद पैसिफिक द्वीप देशों की बैठक के लिए पापुआ न्यूगिनी जाना बताता है कि भारत इन छोटे जज़ीरों को भी बड़ी अहमियत देता है. खासतौर पर इंडो-पैसिफिक की उभरती ताकत और बड़े लोकतंत्र के तौर पर भारत का इन देशों के साथ खड़े होना भरोसे का एक नया पुल बनाता है. 

खासतौर पर ऐसे में जबकि सोलोमन आइलैंड जैसे पैसिफिक द्वीप पर चीन अपने पुलिस एडवाइजर भेजने जैसे समझौते हासिल कर चुका है. दबदबे और दादागिरी के इस खेल में अगर भारत इन देशों को सहयोग का पैकेज ऑफर करता है तो यह उनकी पसंद बनना स्वाभाविक है. खासकर ऐसे में जबकि भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे पैसिफिक देशों के कद्दावर खिलाड़ी भी साथ खड़े नजर आते हों. इतना ही नहीं फिजी जैसे पैसिफिक द्वीप देश में भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी भी उसकी पैठ को मजबूती देती है. पीएम मोदी इस यात्रा में फिजी के पीएम सितिवेनी रबुका से भी मुलाकात करेंगे. 

इन देशों से भी सीधी बातचीत में हैं पीएम मोदी
पैसिफिक द्वीप देशों के कुनबे में कुक आइलैंड्स, फिजी, किरिबाती गणराज्य, मार्शल आइलैंड्स गणराज्य, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, नीयू, नाउरू गणराज्य, पलाऊ गणराज्य, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन द्वीप, टोंगा, तुवालु और वानुअतु समेत कुल 14 देश शामिल हैं. भारत ने इन देशों के साथ अलग से संवाद के लिए FiPIC फोरम की 2014 में शुरुआत की थी. पापुआ न्यू गिनी में हो रही बैठक इस श्रृंखला की तीसरी कड़ी है.

पापुआ न्यूगिनि जैसे छोटे द्वीप देश की राजधानी पोर्ट मोरिसबी में पीएम मोदी एक रात भी बिताएंगे. जो अपने आप में भारत की तरफ से भरोसा जताने का एक कदम है. दरअसल मोदी 21 मई की शाम को पापुआ न्यू गिनी पहुंच जायेंगे और वहां 22 मई दोपहर तक रहेंगे.

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी जाएंगे पीएम मोदी
भारतीय पीएम पापुआ न्यूगिनि के बाद ऑस्ट्रेलिया जाएंगे जिसके किनारे हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर दोनों से मिलते हैं. यानी इंडोपेसिफिक के आँगन में ऑस्ट्रेलिया एक अहम किरदार भी है और भारत का साझेदार भी है. भारत और. ऑस्ट्रेलिया की करीबी का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बीते एक साल के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्री 5 बार मिल चुके हैं.

कोरोना संकट के बाद चीन के खतरे से आगाह हुआ. ऑस्ट्रेलिया अब भारत के साथ नज़दीकी बढाना चाहता है. ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत न केवल एक बड़ा बाज़ार है बल्कि रणनीतिक साझेदार भी है. पीएम मोदी सिडनी में राजनीतिक, कारोबारी मुलाकातों के साथ साथ एक बड़े कम्यूनिटी संवाद कार्यक्रम को भी संबोधित करेंगे. ऑस्ट्रेलिया और भारत के रिश्तों में एक अहम कड़ी भारतीय मूल के लोग भी हैं. साथ ही बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया जाते हैं. इतना ही नहीं भारत में ऑस्ट्रेलिया शिक्षा से लेकर वोकेशनल ट्रेनिंग को एक बड़े मौके के तौर पर भी देखता है.

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