Global Rankings: 'एजेंडे के तहत भारत के खिलाफ जारी होती हैं इंटरनेशनल रैंकिंग', पीएम मोदी के 'करीबी' ने क्यों कही ये बात
Global Rankings Against India: संजीव सान्याल ने कहा कि ये गलत तरीके से केवल नैरेटिव गढ़ने तक सीमित नहीं है. इसका सीधा और स्पष्ट प्रभाव व्यापार, निवेश और अन्य गतिविधियों पर पड़ता है.
Global Rankings: भारत की सरकार और प्रेस स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर एजेंडा आधारित रैंकिंग के खिलाफ अब भारत ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य सलाहकार ने शुक्रवार (26 मई) को एक इंटरव्यू के दौरान नव-औपनिवेशिक ग्लोबल एजेंसियों की ओर से भारत को लेकर जारी की जाने वाली एजेंडा आधारित रैंकिंग पर ये बात कही.
पीएम नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारत ने इन मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि तीन या चार फंडिंग एजेंसियां, जो दुनिया में अपना एजेंडा चलानी चाहती हैं, वो इन रैंकिंग को नॉर्थ अटलांटिक के छोटे समूहों से तैयार करवाती हैं.
'भारत के खिलाफ नैरेटिव गढ़ने की कोशिश'
उन्होंने कहा कि ये गलत तरीके से केवल नैरेटिव गढ़ने तक सीमित नहीं है. इसका सीधा और स्पष्ट प्रभाव व्यापार, निवेश और अन्य गतिविधियों पर पड़ता है. हाल ही में रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की ओर से जारी न्यू वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भी खराब थी. वी-डेम इंस्टीट्यूट की एकेडमिक फ्रीडम इंडेक्स में भारत को पाकिस्तान और भूटान से भी नीचे रखा गया था.
सान्याल ने कहा कि बीते एक साल में भारत ने विभिन्न बैठकों में वर्ल्ड बैंक, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) और यूनाइटेड नेशंस डेवलेपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) जैसे संस्थानों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले वैश्विक सूचकांकों को संकलित करने के तरीकों में खामियों की ओर खुलकर अपनी बात रखी है.
रैंकिंग कैसे डालती हैं भारत पर असर?
उन्होंने कहा कि विश्व बैंक भी इस चर्चा में शामिल है, क्योंकि यह इन थिंक-टैंकों से राय लेता है और इसे वर्ल्ड गर्वनेंस इंडेक्स जैसी किसी चीज में शामिल करता है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ल्ड बैंक, डब्ल्यूईएफ, रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स और वी-डेम ने इस टिप्पणी पर जवाब देने पर फिलहाल असमर्थता जताई है. यूएनडीपी ने कहा है कि वो जल्द ही इस पर जवाब देंगे.
संजीव सान्याल ने कहा कि ये ग्लोबल रैंकिंग पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन से जुड़े फैसले लेते समय अहमियत रखती हैं. कई इंटरनेशनल बैंक पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन पर आधारित रैंकिंग के हिसाब से लोन सब्सिडी देते हैं. एक सरकारी अधिकारी के अनुार, केंद्रीय सचिवालय में इस मुद्दे को उठाया गया है और इस साल इस मामले को लेकर दर्जनों बैठकें की जा चुकी हैं.
इसी साल आईएमएफ की ओर से फाइनेंशियल डेवलपमेंट इंडेक्स, यूएनडीपी की ओर से जेंडर इक्वैलिटी और ह्यूमन डेवलपमेंट की रैंकिंग के साथ वर्ल्ड बैंक की ओर से वर्ल्डवाइड गर्वनेंस इंडीकेटर्स की रैंकिंग जारी की जा सकती है.
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