National Logistics Policy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को National Logistics Policy की शुरुआत की और कहा कि, "एक विकसित भारत के निर्माण" की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम था, क्योंकि यह पॉलिसी "हर क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार" करेगी. पीएम ने कहा, "अमृत काल में देश ने एक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. मेक इन इंडिया और भारत के आत्मनिर्भर होने की गूंज अब दुनिया में हर जगह सुनाई दे रही है. अब भारत बड़े निर्यात लक्ष्य को निर्धारित कर रहा है और उन्हें पूरा कर रहा है."
आज भारत एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है
पीएम ने कहा-आज भारत एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है और ऐसे में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी इसे बेहतर बनाने में मदद करेगी. भारत एक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में उभर रहा है. दुनिया ने भारत को आज सबसे बड़े मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के रूप में स्वीकार किया है और ये पॉलिसी इसे और आगे ले जाने में कामयाब होगी. प्रधान मंत्री ने इस पॉलिसी को कई समस्याओं का समाधान बताया और कहा कि इससे "हमारी सभी प्रणालियों" में सुधार होगा.
इस पॉलिसी से समय और धन की बचत होगी
पीएम ने कहा कि इस पॉलिसी से हमारे देश के मैन्यूफैक्चरर्स को और इंडस्ट्रीज को हर तरह से काम करने में समय और धन की बचत होगी. इस पॉलिसी में डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसपोर्टेशन संबंधी हर चुनौतियों का समाधान किया गया है. पीएम ने कहा मेरा मानना है कि National Logistics Policy के तहत हमारी सभी प्रणालियों में सुधार होगा और इन क्षेत्रों में काम करने वाली सरकार की विभिन्न इकाइयों के बीच एक समग्र दृष्टिकोण के साथ समन्वय स्थापित होगा. इससे हमें आगे बहुत मदद मिलेगी.
पीएम ने लॉजिस्टिक पॉलिसी का उद्देश्य बताया
उन्होंने कहा की Logistics Policy का उद्देश्य इसकी लागत को कम करना और वैश्विक बाजार में घरेलू सामानों की प्रतिस्पर्धा में सुधार करना है. भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 13 से 14 प्रतिशत Logistics की लागत पर खर्च करता है. जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश, जो अपने विकसित Logistics के बुनियादी ढांचे और प्रणालियों के लिए जाने जाते हैं, लॉजिस्टिक की लागत पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग आठ से नौ प्रतिशत खर्च करते हैं.
इस क्षेत्र में 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 सहयोगी सरकारी एजेंसियां (पीजीए), 37 निर्यात संवर्धन परिषद (Export Promotion Council), 500 प्रमाणन, 10,000 से अधिक वस्तुएं और 160 अरब डॉलर का बाजार है. बता दें कि विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स इंडेक्स 2018 के अनुसार, भारत रसद लागत में 44 वें स्थान पर है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसे देशों से बहुत पीछे है, जो क्रमशः 14 वें और 26 वें स्थान पर हैं.