आजादी के 'अमृत महोत्सव' कार्यक्रम में बोले PM मोदी- हमारे यहां नमक का मतलब है ईमानदारी विश्वास वफादारी
अगले साल 15 अगस्त को आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके को यादगार बनाने के लिए देश में अभी से आजादी का 'अमृत महोत्सव' शुरू हो गया है. दांडी मार्च इसी महोत्सव का एक हिस्सा है.
गांधीनगर: देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में अहमदाबाद में स्थित साबरमती आश्रम से 'आजादी महोत्सव' की शुरुआत हो गई है. इस मौके पर पीएम मोदी ने पहले अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की और अमृत महोत्सव के शुरुआती कार्यक्रमों का उद्घाटन किया. इसके बाद पीएम मोदी ने देश को संबोधित भी किया.
आजादी के अमृत महोत्सव में पीएम मोदी ने कहा, 'आज जब मैं सुबह दिल्ली से निकला तो, बहुत ही अद्भुत संयोग हुआ. अमृत महोत्सव के प्रारंभ होने से पहले आज देश की राजधानी में अमृत वर्षा भी हुई और वरुण देव ने आशीर्वाद भी दिया. आज आजादी के अमृत महोत्सव का शुरू हो रहा है. अमृत महोत्सव 15 अगस्त, 2022 से 75 हफ्ते पहले आज शुरू हुआ है और 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा.'
#WATCH प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी में दांडी तक जाने वाले 81 पदयात्रियों को झंडी दिखाकर रवाना किया। pic.twitter.com/eLYZV4gPbm
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 12, 2021
"हमने देश का नमक खाया"
पीएम मोदी ने कहा, 'किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्ज्वल होता है, जब वो अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्व से पल पल जुड़ा रहता है. फिर भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है, समृद्ध इतिहास है, चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है. हमारे यहां नमक को कभी उसकी कीमत से नहीं आंका गया. हमारे यहां नमक का मतलब है- ईमानदारी. हमारे यहां नमक का मतलब है- विश्वास. हमारे यहां नमक का मतलब है- वफादारी. हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है. ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि नमक कोई बहुत कीमती चीज है. ऐसा इसलिए क्योंकि नमक हमारे यहां श्रम और समानता का प्रतीक है.'
पीएम मोदी ने कहा, '1857 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को सत्याग्रह की ताकत फिर याद दिलाना, लोकमान्य तिलक का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का दिल्ली मार्च, दिल्ली चलो का नारा कौन भूल सकता है.'
पीएम मोदी ने आगे कहा, 'देश के कोने-कोने से कितने ही दलित, आदिवासी, महिलाएं और युवा हैं जिन्होंने असंख्य तप-त्याग किए. याद करिए, तमिलनाडु के 32 वर्षीय नौजवान कोडि काथ् कुमरन को. अंग्रेजों ने उनको सिर में गोली मार दी, लेकिन उन्होंने मरते हुए भी देश के झंडे को जमीन में नहीं गिरने दिया.'
91 साल पहले गांधी जी के नेतृत्व में निकला था दांडी मार्च अहमदाबाद का साबरमती आश्रम आज एक बार फिर उस दांडी मार्च का गवाह बन रहा है, जिसने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सबसे बड़े संघर्ष की मजबूत नींव तैयार की थी. 12 मार्च साल 1930 में महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह की शुरुआत की थी. आज उस संघर्ष को याद करने के लिए प्रतीकात्मक रुप से यात्रा निकाली जा रही है.
महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 में साबरमती आश्रम से नवसारी के दांडी तक दांडी मार्च निकाला गया था. ये मार्च ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ अहिंसक प्रदर्शन था. दांडी मार्च 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 तक चला था. दांडी मार्च ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष के लिए पूरे भारत को एकजुट कर दिया था. इसके 17 साल बाद 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा.
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