PM Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (28 मई) मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित किया है. पीएम मोदी बोले, 'मन की बात' का ये एपिसोड सेकेंड सेंचुरी का प्रारंभ है. पिछले महीने हम सभी ने इसकी स्पेशल सेंचुरी को सेलिब्रेट किया है. आपकी भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है.


पीएम मोदी बोले, जब 'मन की बात' का प्रसारण हुआ, तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में, अलग-अलग टाइम जोन में, कहीं शाम हो रही थी तो कहीं देर रात थी. इसके बावजूद, बड़ी संख्या में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला.


पीएम मोदे ने आगे कहा, पिछले मन की बात में काशी तमिल संगमम की बात की. सौराष्ट्र तमिल संगमम की बात की. कुछ समय पहले ही वाराणसी में काशी तेलुगू संगमम भी हुआ. एक भारत श्रेष्ठ भावना को ताकत देने वाला ऐसे ही एक और अनूठा प्रयास देश में हुआ है. ये प्रयास है- युवा संगम का.


पीएम मोदी ने युवा संगम कार्यक्रम की चर्चा करते हुए प्रतिभागी से बात की


पीएम मोदी ने इस दौरान एक भारत, श्रेष्ठ भारत योजना के तहत युवा संगम कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कुछ प्रतिभागियों से बात की. इस दौरान अरुणाचल प्रदेश के छात्र ग्यामर न्योकुम ने पीएम से बात की और संगम कार्यक्रम पर ब्लॉग लिख अपने अनुभव शेयर करने की सलाह दी.


पीएम मोदी ने जापान दौरे का किया जिक्र


पीएम मोदी ने इस दौरान जापान के दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि, कुछ दिनों पहले मैं जापान गया जहां मुझे हिरोशिमा पीस मेमोरियल में जाने का मौका मिला. ये एक भावुक कर देने वाला पल था. जब हम इतिहास की यादों को संजोकर रखते हैं तो आने वाली पीढ़ियों की बहुत मदद करताा है.


पीएम मोदी ने बताया, बीते वर्षों में भी हमने भारत में नए-नए तरह के म्यूजियम और मेमोरियल बनते देखे हैं. स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी भाई-बहनों के योगदान को समर्पित 10 नए म्यूजियम बनाए जा रहे हैं. पीएम मोदी बोले, गुरुग्राम में एक अनोखा संग्रहालय है. म्यूजियो कैमरा, इसमें 1860 के बाद के 8 हजार से ज्यादा कैमरों का कलेक्शन मौजूद है. तमिलनाडु के म्यूजियम ऑफ पॉजिब्लिटीज को हमारे दिव्यांगजनों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय एक ऐसा म्यूजियम है, जिसमें 70 हजार से भी अधिक चीजें संरक्षित की गई हैं.


पीएम मोदी ने वीर सावरकर को किया याद


पीएम मोदी इस दौरान वीर सावरकर को याद करते हुए कहा, उनका व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था. उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी. स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है.


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