प्रधानमंत्री आवास पर तक़रीबन दो घंटे अफ़ग़ानिस्तान के हालात पर उच्च स्तरीय बैठक हुई. इस महत्वपूर्ण बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और आयुक्त सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने हिस्सा लिया.


सूत्रो में मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई है. ख़ासतौर पर तालिबान और पाकिस्तान स्थित तमाम आतंकी संगठनों की ओर से सम्भावित ख़तरों के मद्देनज़र आंतरिक सुरक्षा के हालात पर बातचीत हुई. हाल ही में पाकिस्तान की तरफ़ से घुस पैठ की कोशिशों और सुरक्षा एजेंसियों की उच्चतम सतर्कता के चलते घुसपैठ को नाकाम कर दिया गया था.


पाकिस्तान आतंकियों को कश्मीर में घुसपैठ कराने की फ़िराक़ में है


ख़ुफ़िया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ आधुनिक हथियारों के साथ पाकिस्तानी आतंकी पाक अधिकृत कश्मीर में पहुंच रहे हैं. पाकिस्तान लगातार इन आतंकियों को कश्मीर में घुसपैठ कराने की फ़िराक़ में है. तालिबान और पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठनों के साझा गठबंधन से भारत की आंतरिक सुरक्षा को लेकर इस बैठक में चर्चा की गई है. पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों और पाकिस्तान की सेना की अफ़ग़ानिस्तान में अत्याधिक सक्रियता को लेकर भी बारीक तस्वीर सामने रखी गई. इसके अलावा पाकिस्तानी सेना की बटालियन और एयर फ़ोर्स के अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर में इस्तेमाल और मौजूदगी पर भी चर्चा हुई.


सूत्रों के मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान में नए सरकार के स्वरूप और उसने पाकिस्तान के दखल पर ख़ासतौर पर हक्कानी गुट को सत्ता में बड़ी हिस्सेदारी की कोशिशों और उसके प्रभाव पर भारत की पैनी नज़र बनी हुई है. दुनिया भर के देश अफ़ग़ानिस्तान पर नज़र रखे हुए हैं और भारत भी उन तमाम देशों के सम्पर्क में है. ईरान के तरफ़ से राष्ट्रपति ने इब्राहिम राइसी ने तो साफ़ कर दिया है कि वे अफ़ग़ानिस्तान में चुनी हुई सरकार को ही मान्यता देंगे.


भारत वेट एंड वॉच मुद्रा में


उधर अमेरिका सहित तमाम नाटो देश भी सभी को समाहित करने वाली सरकार चाहते हैं. ऐसे में सरकार के स्वरूप को लेकर भी चल रही रस्साकसी को लेकर भी सभी की नज़र है. दरअसल अफ़ग़ानिस्तान में सरकार का स्वरूप ही तय करेगा कि तालिबान की सरकार कितनी स्थाई होगी और अफ़ग़ानिस्तान में भविष्य में कैसे हालात होंगे.


फ़िलहाल भारत की प्राथमिकता फंसे भारतीयों की सुरक्षित आपसी और भारत की तेईस हज़ार करोड़ की परियोजनाएं भी अफ़ग़ानिस्तान में हैं. फ़िलहाल भारत भी दुनिया के तमाम दूसरे देशों की तरह वेट एंड वॉच की मुद्रा में हैं.


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