बिश्केक: किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में हो रहे संघाई सहयोग संघठन की बैठक के दौरान आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई. मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि भारत और चीन के बीच पाकिस्तान के मुद्दे पर बातचीत हुई.
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शी जिनपिंग से साफ शब्दों में कहा कि फिलहाल पाकिस्तान से बातचीत का अभी माहौल नहीं है. इसके बीछे जो वजह बताई जा रही है कि पाकिस्तान के सामने जो पहले से मुद्दे उठाए गए थे उन पर कोई चर्चा नहीं हुई है. इनमें सबसे बड़ा मुद्दा आतंकवाद का है. मसूद अजहर जैसे आतंकवादी पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगने के बावजूद अभी तक वे पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है. ऐसे में पाकिस्तान से द्वपक्षीय वार्ता करना गैर मुनासिब होगा. पाकिस्तान के एयर स्पेस के इस्तेमाल नहीं करने का फैसला करके कल ही भारत ने एक कड़ा संदेश दिया था.
बैठक के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने संवाददाताओं से कहा कि दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत में पाकिस्तान पर संक्षिप्त चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संबंध में भारत का रुख समान है और वह पड़ोसी देश के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है. गोखले ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति शी से कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों में सुधार के लिए कदम उठाए थे, लेकिन उन सभी पर पानी फेर दिया गया.
विदेश सचिव के अनुसार, मोदी ने राष्ट्रपति शी से कहा, ‘‘पाकिस्तान को आतंकवाद मुक्त वातावरण तैयार करने की जरूरत है, लेकिन फिलहाल हमें ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. हम पाकिस्तान से आशा करते हैं कि बातचीत बहाल करने के लिए वह ठोस कदम उठाएगा.’’
यह संदेश ऐसे वक्त में आया है जब भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का डिनर की मेज पर रूबरू होना बाकी है. बता दें कि भारत औक पाकिस्तान के संबंधों के बीच चीन भी अहम फैक्टर निभाता है. इस वक्त पाकिस्तान पर अगर किसी देश का दबदबा है तो वो चीन ही है. चीन कई मोर्चों पर पाकिस्तान की हिमायत भी करता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद यह पहली बहुपक्षीय बैठक है. भारत 2005 से एससीओ में एक पर्यवेक्षक रहा है और समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया है. भारत और पाकिस्तान को 2017 में एससीओ की स्थायी सदस्यता दी गई थी. एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुयी थी. एससीओ अभी दुनिया की आबादी के लगभग 42 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी के 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है.